मत्स्य पालन विभाग ने इंदौर में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की तीसरी वर्षगांठ पर कार्यक्रम किया आयोजित
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,16 सिंतबर।केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के कार्यान्वयन के तीन वर्ष सफलतापूर्वक पूरे होने पर एक अनूठा कार्यक्रम, मत्स्य संपदा जागृति अभियान शुरू किया। सरकार के मत्स्य पालन विभाग द्वारा ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर, इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान और डॉ. एल. मुरुगन भी उपस्थित थे। पूरे भारत में और ‘अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुंच’ सुनिश्चित करने के लिए जागृति अभियान सितम्बर 2023 से फरवरी 2024 तक 6 महीने चलेगा। इस दौरान 108 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मत्स्य संपदा जागृति अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार की 9 वर्षों की उपलब्धियों के बारे में जानकारी और ज्ञान का प्रसार करना, लाभार्थियों की सफलता की कहानियों को उजागर करना और 2.8 करोड़ मछली किसानों एवं 3477 तटीय गांवों तक पहुंचना है।
देश भर में आगे बढ़ रही विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं का केंद्रीय मंत्री ने शुभारंभ किया। पीएमएमएसवाई के तहत स्वीकृत 239 परियोजनाओं की यह सौगात 103.11 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ 15 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा, झारखंड, लद्दाख, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए थी। लाभार्थी विभिन्न कार्यों जैसे ट्राउट (एक प्रकार की मछली) कल्चर, मोती कल्चर, केज कल्चर, कोल्ड स्टोरेज, बायोफ्लॉक्स और आरएएस आदि में लगे हुए हैं। लाभार्थियों ने रूपाला और गणमान्य व्यक्तियों के साथ बातचीत की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, परषोत्तम रूपाला तथा मत्स्य पालन विभाग के प्रति अपना आभार व्यक्त किया क्योंकि इन परियोजनाओं से आय, रोजगार, महिला सशक्तिकरण और आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है।
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने अपने संबोधन में सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और कार्यक्रम की मेजबानी के लिए मध्य प्रदेश प्रशासन को बधाई दी। उन्होंने विशेष रूप से पीएमएमएसवाई और केसीसी जैसी सरकारी योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों को प्राप्त लाभों के माध्यम से पीएमएमएसवाई के 3 वर्षों में मछली उत्पादन 1 लाख टन से बढ़ाकर 3 लाख टन तक ले जाने में मध्य प्रदेश की प्रगति की सराहना की। उन्होंने बताया कि भोपाल में एक्वापार्क की स्थापना के प्रस्ताव को 25 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ मंजूरी दे दी गई है जिसमें अनुसंधान केंद्र, प्रसंस्करण सुविधा, जल पर्यटन सुविधाएं, सजावटी मत्स्य पालन आदि जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तटीय जलकृषि कानून (सीएए) में संशोधन कर दिया गया है और उन्होंने प्रोत्साहित किया कि भारत को अपनी वैश्विक रैंकिंग लगातार बनाए रखने के लिए झींगा पालन को आगे बढ़ाना जारी रखना चाहिए।
डॉ. संजीव के बालियान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मत्स्य पालन क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह इस बात से स्पष्ट है कि 2014 के बाद इस क्षेत्र का बजट 300 करोड़ रुपये से बढ़कर 38 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। उन्होंने एनईआर में किए जा रहे कार्यों की सराहना की और आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में ‘बंजर भूमि को धन भूमि’ में बदलने से झींगा पालन को और बढ़ावा मिलेगा।
डॉ. एल मुरुगन ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और सरकारी पहलों तथा योजनाओं, विशेषकर पीएमएमएसवाई के माध्यम से भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने मछुआरों और मछली पालकों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के लाभों पर जोर दिया।
परषोत्तम रूपाला और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने 9 वर्ष की उपलब्धियों की पुस्तिका जारी की, जो मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और मत्स्य पालन विभाग (भारत सरकार) की उत्पत्ति के बाद से भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रगति की यात्रा को दर्शाती है। यह बीआर, एफआईडीएफ, पीएमएमएसवाई के तहत प्रमुख उपलब्धियों और सागर परिक्रमा जैसी पहलों पर भी प्रकाश डालती है।
केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ मत्स्य पालन स्टार्ट-अप, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, एफएफपीओ, मत्स्य सहकारी समितियों और मत्स्य संस्थानों के स्टालों में लगी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। स्टॉलों में फिशरी सर्वे ऑफ इंडिया, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी एंड ट्रेनिंग (एनआईएफपीएचएटीटी), सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज नॉटिकल एंड इंजीनियरिंग ट्रेनिंग (सीआईएफएनईटी) और बंगाल की खाड़ी से लगे सभी आठ आईसीएआर मत्स्य पालन संस्थानों के कार्यक्रम, अंतर-सरकारी संगठन (बीओबीपी-आईजीओ) के कार्यों के साथ-साथ विभिन्न उद्यमियों द्वारा बेचे जा रहे जाल, चारा, मूल्य वर्धित उत्पाद आदि उत्पादों को प्रदर्शित किया गया।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मत्स्य पालन और जल संसाधन मंत्री तुलसी राम सिलावट, मध्य प्रदेश के मत्स्य कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सीताराम बाथम, अरुणाचल प्रदेश के कृषि बागवानी पशुपालन और पशु चिकित्सा डेयरी विकास मत्स्य पालन मंत्री तागे ताकी, इंदौर से सांसद शंकर लालवानी, मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी, मत्स्य पालन विभाग में संयुक्त सचिव सागर मेहरा, डीडीजी, आईसीएआर, डॉ. जेके जेना और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. एल.एन. मूर्ति और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में, तुलसी राम सिलावट ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और मध्य प्रदेश मत्स्य पालन विभाग को पीएमएमएसवाई की तीसरी वर्षगांठ के महत्वपूर्ण कार्यक्रम की मेजबानी करने का अवसर देने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने देश के और मध्य प्रदेश के मछुआरा समुदाय के योगदान की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि मछुआरा समुदाय का विकास जरूरी है और नेतृत्व उनकी प्रगति के लिए समर्पित है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मध्य प्रदेश ने पीएमएमएसवाई कार्यान्वयन के इन तीन वर्षों के दौरान प्रगति की है और मछुआरों और मछली किसानों को केसीसी सुविधा से संतृप्त किया है।
डॉ. अभिलक्ष लिखी ने सभी गणमान्य व्यक्तियों, मछुआरों, प्रतिभागियों का स्वागत किया जो स्वयं और वर्चुअली शामिल हुए। उन्होंने मछली उत्पादन, निर्यात और झींगा उत्पादन क्षेत्र की उपलब्धियों और भारत भर के सभी क्षेत्रों में योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन विभाग पीएमएमएसवाई के अंतर्गत आजीविका के वैकल्पिक स्रोतों के रूप में समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मत्स्य पालन, मोती की खेती, गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए अनुसंधान एवं विकास को मजबूत करने, प्रजातियों के विविधीकरण, युवाओं की भागीदारी, स्टार्ट-अप, एफएफपीओ जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से जमीनी जानकारी हासिल करने के लिए पहुंच और विस्तार सेवाओं को बढ़ाने पर जोर दिया और उम्मीद जताई कि राज्य और केंद्र मत्स्य संपदा जागृति अभियान को सफल बनाने में सहयोग करना जारी रखेंगे।
सागर मेहरा ने सभी प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने सभी प्रयासों में उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला और राज्य मंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत सरकार की विभिन्न पहलों और योजनाओं अर्थात् नीली क्रांति योजना, मत्स्य पालन अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) और प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के परिणामस्वरूप मत्स्य पालन क्षेत्र की उपलब्धियों और प्रगति पर प्रकाश डाला, जिससे उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई है और प्रौद्योगिकी में जान डाल दी गई है और बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण हुआ है।
इस कार्यक्रम में कुल 35 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने भाग लिया, जिसमें 239 परियोजना लाभार्थियों, मत्स्य पालन सहकारी समितियों, सागर मित्रों, आईसीएआर संस्थानों, राज्य मत्स्य पालन संस्थानों और विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों, डीओएफ (भारत सरकार),एनएफडीबी के अधिकारियों आदि की भागीदारी रही। लगभग 75,000 प्रतिभागी उपस्थित थे, जिनमें 1000 प्रतिभागी कार्यक्रम के दौरान स्वयं उपस्थित थे। डिजिटल और आउटडोर मीडिया अभियानों के माध्यम से ~3 लाख लोगों तक पहुंच भी हासिल की गई।
लाभार्थियों ने अपनी सफलता की कहानियों के बारे में बात की, मिजोरम के एफ. लालडिंगलियाना, जब प्रति वर्ष केवल 30,000 रुपये कमाते थे, उन्होंने जलीय कृषि की ओर रुख किया और अब 19 तालाबों के साथ अपनी 2 हेक्टेयर भूमि पर मछली पालन करते हैं, गोवा में ज़ैश फार्म्स ने आरएएस में कदम रखा और उच्च गुणवत्ता वाली मछली और बीज के लगातार उत्पादन, रोजगार सृजन, स्थानीय और क्षेत्रीय बाजारों में योगदान, क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता वृद्धि के साथ बायोफ्लॉक मछली पालन से उन्हें 50 लाख रुपये की शुद्ध आय हुई, तमिलनाडु की आर. मुरुगेश्वरी समुद्री शैवाल की खेती करती हैं और पीएमएमएसवाई के अंतर्गत उन्हें मिलने वाली सब्सिडी ने उन्हें राफ्ट के रखरखाव, सावधानीपूर्वक जाल की सफाई और स्वच्छ समुद्री शैवाल प्रसंस्करण के लिए सौर ऊर्जा से सुखाने की तकनीक शुरू करने के लिए धन देने में मदद की, जिससे उनकी वार्षिक आमदनी प्रभावशाली रूप से बढ़कर प्रति वर्ष 108,000 रुपये हो गई और पारिवार की आय में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई। राजस्थान के उद्यमी विनोद कुमार ने मोती की खेती में कदम रखा, आवश्यक ज्ञान प्राप्त किया, मत्स्य पालन विभाग, राजस्थान से मार्गदर्शन लिया और मोती की खेती के लिए तालाबों का निर्माण किया, जिससे उनका वार्षिक कारोबार 39 लाख रुपये तक पहुंच गया।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कार्य प्रणाली में कुशलतापूर्वक किए गए बहुआयामी सुधारों से भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र प्रगति के पथ पर है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की प्रमुख योजना है और इसे प्रधानमंत्री ने 10 सितंबर 2020 को शुरू किया था। इसका उद्देश्य विभिन्न योजनाओं और पहलों के समेकित प्रयासों के माध्यम से ‘सनराइज’ मत्स्य पालन क्षेत्र को गति देना है।
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