पंचायती राज मंत्रालय द्वारा पंचायती अधिकारियों के लिए पांच दिवसीय पुनश्चर्या प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6अगस्त। केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एस. पी. सिंह बघेल ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के सार्थक हॉल में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) के अंतर्गत जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ), मुख्य विकास अधिकारियों (सीडीओ), जिला विकास अधिकारियों (डीडीओ) और जिला पंचायती राज अधिकारियों (डीपीआरओ) के लिए पांच दिवसीय पुनश्चर्या (रिफ्रेशर) प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम 5 से 9 अगस्त, 2024 तक चलेगा।

उद्घाटन समारोह में आईआईपीए के महानिदेशक एस. एन. त्रिपाठी, एमओपीआर के संयुक्त सचिव श्री विकास आनंद, एमओपीआर के निदेशक विपुल उज्ज्वल और आईआईपीए के प्रोफेसर डॉ. वी. एन. आलोक उपस्थित रहे। इस आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 45 से अधिक जिला परिषदों के सीईओ, सीडीओ, डीडीओ, और डीपीआरओ सहित अन्य अधिकारी भाग ले रहे हैं।

कार्यक्रम के मुख्य बिंदु:
प्रो. एस. पी. सिंह बघेल का संबोधन:
प्रो. एस. पी. सिंह बघेल ने अपने उद्घाटन भाषण में पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों से आग्रह किया कि वे सुनिश्चित करें कि पंचायती राज संस्थाएं ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र और समावेशी विकास के लिए केंद्रीय भूमिका निभाएं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विकास कार्यों में ऊंचे मानकों को बनाए रखने के साथ-साथ योजनाओं का लाभ सभी पात्र लाभार्थियों तक पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकास का दृष्टिकोण देश के हर कोने तक पहुंचे।

प्रो. बघेल ने पंचायती राज मंत्रालय के नेतृत्व और प्रबंधन विकास कार्यक्रम की सराहना की, जिसने पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों को आईआईएम अहमदाबाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रशिक्षण प्रदान किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण से पंचायती राज संस्थानों की विश्वसनीयता में वृद्धि होगी। जैसे-जैसे पंचायतें अधिक विकसित और आत्मनिर्भर बनेंगी, देश प्रधानमंत्री के समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

विकास आनंद की प्रस्तुति:
एमओपीआर के संयुक्त सचिव श्री विकास आनंद ने पुनश्चर्या प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्यों और लक्ष्यों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाना, नेतृत्व क्षमताओं में सुधार करना और सतत विकास को बढ़ावा देना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रमों से बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे और यह सुनिश्चित होगा कि पंचायती राज से जुड़े लोग ज्ञान, जागरूकता और मंत्रालय के विभिन्न हस्तक्षेपों के उद्देश्यों के संदर्भ में जुड़े रहें।

एस. एन. त्रिपाठी का स्वागत भाषण:
आईआईपीए के महानिदेशक एस. एन. त्रिपाठी ने कार्यक्रम के स्वागत भाषण में पंचायती राज मंत्रालय की नई पहल की सराहना की। उन्होंने सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण की अवधारणा के माध्यम से गांवों में समावेशी और सतत विकास कार्यों को वैश्विक लक्ष्यों के साथ जोड़ने में एमओपीआर के प्रयासों को रेखांकित किया।

प्रशिक्षण का उद्देश्य:
पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों के भीतर नेतृत्व क्षमताओं को बढ़ाना, सुधार के क्षेत्रों की पहचान करना और आवश्यक शासन कौशल को बेहतर बनाना है। इसमें नेतृत्व कौशल, टीमवर्क, विवाद प्रबंधन, संचार कौशल, मीडिया संबंध, सामुदायिक जुड़ाव और विभिन्न सरकारी पहलों जैसे ई-ग्राम स्वराज, पीएफएमएस, टीएमपी, ओएसआर आदि पर व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के पूरा होने पर, प्रतिभागियों से अपेक्षा की जाती है कि वे:

  • अपनी टीमों को बेहतर प्रदर्शन के लिए नेतृत्व करें।
  • स्थानीय शासन में समकालीन नेतृत्व अवधारणाओं को समझें।
  • अपने नेतृत्व के गुणों की पहचान करें और उनका विकास करें।
  • पंचायतों के भीतर एक लचीला और चुस्त प्रशासन स्थापित करें।
  • अधिक प्रभावी कामकाज के लिए अपने कौशल को बढ़ाएं।

इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों को यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे वे अपने क्षेत्रों में विकास और प्रगति के वाहक बन सकते हैं और राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं।

यह पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पंचायती राज अधिकारियों को अपने कौशल को सुधारने और विकास कार्यों में उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करेगा। इसका उद्देश्य है कि पंचायती राज संस्थान अपनी केंद्रीय भूमिका को समझें और प्रधानमंत्री के समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दें।

इस पहल से यह उम्मीद की जाती है कि पंचायती राज संस्थान और अधिक प्रभावी बनेंगे और अपने समुदायों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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