समग्र समाचार सेवा,
नई दिल्ली, 25 मई: भारत निर्वाचन आयोग ने चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी है। इसके लिए आधिकारिक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। जिन राज्यों में उपचुनाव कराए जाएंगे, वे हैं गुजरात, केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल। आयोग के मुताबिक इन सभी सीटों पर 19 जून 2025 को मतदान होगा और 23 जून 2025 को मतगणना की जाएगी।
किन सीटों पर होगा उपचुनाव?
राज्य | विधानसभा सीट | उपचुनाव का कारण |
गुजरात | कडी | विधायक करसनभाई सोलंकी का निधन |
गुजरात | विसावदर | विधायक भयानी भूपेंद्रभाई का इस्तीफा |
केरल | नीलांबुर | विधायक पी. वी. अनवर का इस्तीफा |
पंजाब | लुधियाना पश्चिम | विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी का निधन |
पश्चिम बंगाल | कालीगंज | विधायक नसीरुद्दीन अहमद का निधन |
The Election Commission of India announces the schedule for Bye-election to 5 Assembly Constituencies of Gujarat, Kerala, Punjab and West Bengal.
Date of Poll- 19th June
Date of Counting of Votes- 23rd June pic.twitter.com/A06DBntAkN— ANI (@ANI) May 25, 2025
गुजरात में अकेले मैदान में उतरेगी कांग्रेस
उपचुनाव की घोषणा से पहले ही गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन किए बिना दोनों सीटों—कडी और विसावदर—पर अकेले चुनाव लड़ेगी। गोहिल ने कहा, “गुजरात में मतदाताओं ने कभी तीसरे मोर्चे को समर्थन नहीं दिया। यहां मुकाबला केवल कांग्रेस और भाजपा के बीच है।”
लुधियाना पश्चिम में कांग्रेस बनाम आप
पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट पर मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है, जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आमने-सामने हैं।
- कांग्रेस ने भारत भूषण आशु को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जिनकी उम्मीदवारी को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने स्वीकृति दी है।
- आम आदमी पार्टी ने पहले ही 26 फरवरी को राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को अपना उम्मीदवार बनाया था।
सियासी नजरिए से उपचुनावों का महत्व
इन उपचुनावों को कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है:
- गुजरात में कांग्रेस की रणनीति इंडिया ब्लॉक के भीतर संभावित दरार को उजागर करती है।
- पंजाब में कांग्रेस-आप मुकाबला 2027 विधानसभा चुनावों की दिशा तय कर सकता है।
- केरल और बंगाल में सत्तारूढ़ दलों की लोकप्रियता की परीक्षा होगी।
19 जून को होने वाले इन उपचुनावों के नतीजे न केवल क्षेत्रीय समीकरणों पर असर डालेंगे, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनावों और विपक्षी एकता की दिशा भी तय कर सकते हैं।
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