*कुमार राकेश
मेरे जेहन में बार बार ये सवाल उठता है ,धर्म बड़ा या देश. जिस किसी से भी इस विषय पर बात करता हूँ तो ज्यादातर लोगो से ठोस व उत्साहवर्धक जवाब नहीं मिलता.ज्यादातर लोग आज भी भ्रमित से दिख रहे हैं.वजह साफ़ हैं.देश में करीब 60 वर्षो तक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस और उनके तथाकथित सुविधापरक नियमो की वजह से आबादी का एक बड़ा हिस्सा उस तथाकथित धर्म निरपेक्ष नीति का शिकार बना लिया गया.इसलिए आज भी इस मसले पर भ्रम की स्थिति दिख रही है .लेकिन आज के युवा उससे बाहर आते दिखने लगे हैं .
भारत विश्व का एक मात्र देश होगा जहाँ संविधान को तो जबरदस्ती धर्म निरपेक्षता का लबादा ओढा दिया गया,लेकिन दूसरी तरफ अल्पसंख्यको को तमाम तरह की सुविधाओ से मालामाल करने का जोरदार उपक्रम किया गया.हालांकि अल्पसंख्यको की श्रेणी में मुसलमान के अलावा सिख,ईसाई,पारसी,जैन और अन्य धर्म के लोगो को शामिल किया गया था,लेकिन सरकार के सभी पैकेजों पर सिर्फ मुसलमान की दबंगता देखी गयी है.
वैसे 2014 के बाद भी कोई उन पैकेजों में कोई खास कमी नहीं की गयी हैं,फिर भी एहसानफरामोशी की हद है.आज भी उस कौम का एक वर्ग मोदी सरकार को कोसता ही नज़र आता है.वैसे सभी मुसलमान एक जैसे नहीं हैं.
आज की स्थिति में सरकारी आंकड़ो का विश्लेषण किया जाये तो मोदी सरकार ने अपनी नीति “सबका साथ,सबका विकास” के तहत मुसलमान कौम का पहले से ज्यादा भला किया है,कर भी रहे हैं.चाहे वो तीन तलाक का मसला हो या युवाओ के समग्र कल्याण का.ये सब एक ऐतिहासिक तथ्य है.इसलिए अब मुसलमान समाज में राष्ट्रीय प्रेम के प्रति जागरूकता अपेक्षाकृत ज्यादा दिखने लगी है. ये विकसित हो रहे भारत के लिए एक शुभ संकेत हैं.
हाल में उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी स्कूलों में स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सभी छात्र-छात्राओं के लिए योगासन के तहत सूर्य नमस्कार को अनिवार्य कर दिया है.इससे राज्य में ख़ुशी का माहौल है.सबों में उत्साह है.सभी वर्ग प्रसन्न मुद्रा में दिख रहे हैं .प्रदेश और देश के कई संस्थाओ ने इस नए आदेश का स्वागत किया है ,लेकिन लेकिन भारत के मुसलमानों की कथित ठेकेदार कही जाने वाली एक संस्था आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इसका विरोध किया है.ये संस्था सूर्य नमस्कार को इस्लाम् के खिलाफ बताया है .उनका कहना है कि इससे उनका इस्लाम खतरे में आ जायेगा.इसलिए उन्होंने एक लम्बा पत्र राज्य सरकार को लिखा है.हालाँकि उत्तर प्रदेश सरकार अपने निर्णय पर कायम दिख रही है.उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री मोहसिन रज़ा ने कहा है कि AIMPLB का ये विरोध कही से भी न्यायसंगत नहीं है.अनर्गल है ,बेतुका है.आधारहीन है.श्री रज़ा का कहना है कि हमारा इस्लाम बहुत मज़बूत है.सूर्य नमस्कार आसनो से हमारी नयी पीढ़ी को अपार शारीरिक और मानसिक ऊर्जा मिलेगी ,इससे हमारे युवा के आत्म बल में भी वृद्धि होगी.
श्री रजा के तर्क संयुक्त राष्ट्र के उन मतों का भी समर्थन करती है ,जिसके तहत 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने सर्व सम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” घोषित कर दिया गया था.
शुरुआती दौर में तो कुछ मुस्लिम देशो ने इसका विरोध किया था,लेकिन अब कोई विरोध नहीं है.पूरे विश्व ने योग को एक महान संस्कृति के तौर पर स्वीकार कर किया है.अरब देशो में भी बड़े पैमाने पर योग,प्राणायाम की कक्षाएं चलायी जा रही हैं. वैसे इस्लाम के जानकारों के अनुसार,पाँचों वक़्त नमाज़ अता करने वालो को जीवन में शांति व संतुष्टि के साथ ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं.फर्क साफ़ है ,जो नमाज़ पढ़ेगा.वो अपेक्षाकृत शांत व नेक बन्दा होगा.
रही बात AIMPLB जैसी संस्थाओ का ,उनका काम ही विरोध के लिए विरोध करना है ,लेकिन आज कल युवा मुस्लिम पहले से ज्यादा सावधान और शिक्षित हो गए हैं ,वे ऐसी रुढ़िवादी संस्थाओ के बहकावे में नहीं आने वाले.सबको पता है कि AIMPLB और उनके सरीखी संस्थाएं गाहे बगाहे सरकार के विकास कार्यो में धर्म का पलीता लगाने का काम करती रहती है.पर वो अब नहीं चलने वाला .
*कुमार राकेश
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