प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के 67 साल के इतिहास में पहली बार हुआ पुस्तक मेले का आयोजन

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,4 मार्च।
भारतीय पत्रकारिता के प्रतिष्ठित केंद्र प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने अपने 67 वर्षों के इतिहास में पहली बार पुस्तक मेले का आयोजन किया। यह ऐतिहासिक पहल साहित्य, पत्रकारिता और बौद्धिक विमर्श को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

पुस्तक मेले का उद्देश्य और महत्व

यह पुस्तक मेला पत्रकारों, लेखकों, प्रकाशकों और साहित्य प्रेमियों को एक मंच प्रदान करने के लिए आयोजित किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल पत्रकारिता और लेखन को सशक्त बनाना था, बल्कि समाज में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देना भी था। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस मेले के जरिए लेखकों और पाठकों के बीच संवाद स्थापित करने का प्रयास किया, जिससे विचारों का आदान-प्रदान हो सके और नए दृष्टिकोण विकसित किए जा सकें।

प्रतिष्ठित लेखकों और पत्रकारों की उपस्थिति

इस ऐतिहासिक पुस्तक मेले में कई प्रतिष्ठित पत्रकारों, लेखकों और बौद्धिक हस्तियों ने शिरकत की। विभिन्न पब्लिशिंग हाउसों ने अपनी किताबों की प्रदर्शनी लगाई, जिनमें समकालीन राजनीति, पत्रकारिता, इतिहास, साहित्य और सामाजिक विषयों पर केंद्रित पुस्तकें शामिल थीं।

इस अवसर पर प्रमुख वक्ताओं ने मीडिया, स्वतंत्र पत्रकारिता और साहित्य के महत्व पर अपने विचार साझा किए। कुछ सत्रों में पत्रकारिता के बदलते स्वरूप, डिजिटल मीडिया की भूमिका और निष्पक्ष रिपोर्टिंग जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।

पत्रकारिता और साहित्य का संगम

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया का यह अनूठा कदम पत्रकारिता और साहित्य के बीच के गहरे संबंध को रेखांकित करता है। पत्रकारिता जहां तत्काल समाचार और घटनाओं का विश्लेषण प्रस्तुत करती है, वहीं साहित्य विचारों और समाज की गहरी समझ को दर्शाता है। इस आयोजन ने दोनों क्षेत्रों के पेशेवरों को एक मंच पर लाकर एक नई संवाद प्रक्रिया को जन्म दिया।

भविष्य की संभावनाएँ

पहली बार आयोजित इस पुस्तक मेले की सफलता को देखते हुए, भविष्य में इसे वार्षिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित करने की संभावना जताई जा रही है। इससे न केवल पत्रकारों को साहित्य से जुड़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि पत्रकारिता के छात्रों और युवा लेखकों को भी अपने विचारों को व्यक्त करने और नए आयाम खोजने का मंच मिलेगा।

निष्कर्ष

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित यह पुस्तक मेला न केवल पत्रकारों और लेखकों के लिए बल्कि पूरे बौद्धिक समुदाय के लिए एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ। यह आयोजन यह दर्शाता है कि पत्रकारिता और साहित्य दोनों ही समाज को दिशा देने वाले महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, और जब दोनों का मेल होता है, तो विचारों का एक नया संसार खुलता है।

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