उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा का दांव: शांत छवि वाले सीपी राधाकृष्णन बनेंगे नई राजनीतिक आवाज़

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 अगस्त: भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन का नाम आगे बढ़ाकर एक बार फिर अपनी राजनीतिक रणनीति का संकेत दिया है।
जगदीप धनखड़ के कार्यकाल (2022–24) को विपक्ष ने आक्रामक और टकरावकारी बताया था, जबकि राधाकृष्णन को एक शांत, संवादपरक और समावेशी नेता के रूप में देखा जा रहा है।

उपराष्ट्रपति की भूमिका

भारत का उपराष्ट्रपति पद केवल संवैधानिक दायित्व नहीं, बल्कि संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के सभापति के रूप में लोकतांत्रिक संवाद का भी केंद्र है।
हाल के वर्षों में यह पद सत्ता और विपक्ष के बीचराजनीतिक खींचतान का अखाड़ा भी बन गया है।
ऐसे में धनखड़ और राधाकृष्णन की तुलना स्वाभाविक है।
जहां धनखड़ का कार्यकाल अक्सर विवादों में घिरा रहा, वहीं राधाकृष्णन को संयमित नेतृत्व का प्रतीक माना जा रहा है।

सीपी राधाकृष्णन की छवि

महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल रहते हुए राधाकृष्णन ने कभी किसी बड़े विवाद में खुद को शामिल नहीं किया।
उनकी छवि समावेशी और संतुलित नेता की है, जिन्हें विभिन्न दलों में सम्मान प्राप्त है।
इसके विपरीत, धनखड़ बार-बार विपक्ष से तीखी बहस में उलझते रहे।

राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर बताता है कि वहसंवाद और सहमति में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद विपक्ष के नेताओं ने भी उनकी संयमित कार्यशैली की तारीफ की है।

भाजपा की रणनीति

भाजपा ने 2022 में जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर जाट समाज को साधने का प्रयास किया था।
अब राधाकृष्णन की नियुक्ति को भाजपा की दक्षिण भारत में पैठ बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
तमिलनाडु की राजनीति में उनकी यह नई भूमिका भाजपा के लिए बड़ा राजनीतिक लाभ ला सकती है।
यह कदम ओबीसी समुदाय को भाजपा से जोड़ने की दिशा में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर

सीपी राधाकृष्णन ने महज 16 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़कर राजनीति की शुरुआत की।
1990 के दशक में वह कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीतकर सुर्खियों में आए।
उनकी छवि को देखते हुए उन्हें “तमिलनाडु का मोदी” भी कहा गया।

31 जुलाई 2024 को उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली।
इससे पहले झारखंड में भी उन्होंने बतौर राज्यपाल कार्य किया और अपनी संतुलित कार्यशैली से पहचान बनाई।

शिक्षा और अनुभव

तमिलनाडु के तिरुपुर में जन्मे राधाकृष्णन ने व्यवसाय प्रबंधन (Management) में स्नातक की पढ़ाई की।
उन्होंने भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी में सक्रिय भूमिका निभाई और 1998 में पहली बार लोकसभा सांसद बने।
उनका अनुभव और संतुलित व्यक्तित्व उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है।

सीपी राधाकृष्णन की उम्मीदवारी भाजपा के लिए केवल एक संवैधानिक दांव नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी है।
धनखड़ की आक्रामक छवि के बाद भाजपा ने एक शांत और समावेशी नेता को सामने लाकर विपक्ष को भी सकारात्मक संदेश दिया है।
यदि वे उपराष्ट्रपति बनते हैं, तो यह राज्यसभा की कार्यवाही को और अधिक संवादपरक और संतुलित बना सकता है।

 

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