टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को किन वजहों से लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने पाया दोषी?

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10नवंबर। ‘कैश फॉर क्वेरी’ यानी ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के आरोपों का सामना कर रहीं तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा (TMC MP Mahua Moitra) की लोकसभा सदस्यता खतरे में है. लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने TMC सांसद को दोषी पाया और महुआ मोइत्रा की सांसदी खत्म करने की सिफारिश की है. लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे का हवाला दिया है. कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के साथ संसद के अपने ‘लॉग-इन क्रेडेंशियल’ शेयर करने के मामले में TMC सांसद महुआ मोइत्रा को दोषी ठहराने के लिए अन्य राष्ट्रों की साइबर एजेंसियों एवं प्रतिनिधियों (स्टेट एक्टर्स) और गैर-सरकारी संगठनों एवं कंपनियों से जुड़े साइबर अपराधियों (नन-स्टेट एक्टर्स) से भारत के समक्ष खतरों का हवाला दिया है. साथ ही कहा है कि वह (हीरानंदानी) दुबई के अधिकृत निवासी है और उनके करीबी रिश्तेदार विदेशी नागरिक हैं.

‘संवेदनशील सामग्री लीक होने का खतरा’
एक सूत्र के हवाले से न्यूज एजेंसी PTI ने बताया, समिति ने अपने निष्कर्ष में कहा है, ‘इससे विदेशी एजेंसियों के लिए संवेदनशील सामग्री के लीक होने का गंभीर खतरा पैदा होता है.’ सूत्र के मुताबिक, समिति ने गृह मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट का हवाला देते हुए रिकॉर्ड किया है कि जुलाई 2019 और अप्रैल 2023 के बीच मोइत्रा का पोर्टल संयुक्त अरब अमीरात से 47 बार संचालित किया गया था.

समझा जाता है कि BJP सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने गुरुवार को मंजूर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस तरह की घटना से प्रणाली (सिस्टम) गंभीर साइबर हमलों की जद में आ सकती है और संभावित रूप से ऐसी घटना प्रणाली को पूरी तरह से अक्षम कर सकती है. इससे भारत की संसद का कामकाज बाधित हो सकता है. सूत्रों के हवाले से PTI ने कहा कि ऐसे तत्व प्रणाली में ऐसी चीजें डाल सकते हैं जो झूठे दस्तावेज या फर्जी आख्यान के जरिये राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है.

समिति ने क्या-क्या कहा?
समिति को बताया गया कि पोर्टल पर सांसदों को पहले से ही भेजे गये मसौदा विधेयक सहित कई दस्तावेज उपलब्ध होते हैं जो सार्वजनिक डोमेन में नहीं होते हैं. गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में पोर्टल पर पहले से अपलोड किए गए तीन तलाक की प्रथा पर प्रतिबंध और दिवाला सहित 20 विधेयकों का हवाला दिया था. सूत्रों ने मसौदा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर परिसीमन विधेयक, 2019 को पहले ही प्रसारित कर दिया गया था और इससे ऐसी संवेदनशील सामग्री के लीक होने की संभावना है, जिसका इस्तेमाल ‘राष्ट्रीय सुरक्षा को क्षति पहुंचाने के लिए शत्रु तत्वों’ द्वारा किया जा सकता है. समिति बहुमत के साथ इस निष्कर्ष पर पहुंची कि हीरानंदानी से ‘अवैध पेशकश’ स्वीकार करने के आरोप स्पष्ट रूप से स्थापित हो गए हैं, यह उनके स्वयं के बयान और मीडिया में उनकी टिप्पणियों से पता चलता है.

‘लेन-देन की जांच सरकार कराए’
हालांकि, इन आरोपों के संदर्भ में कि मोइत्रा ने व्यवसायी हीरानंदानी से नकदी भी स्वीकार की थी, समिति ने स्वीकार किया है कि उसके पास आपराधिक जांच करने और धन के लेन-देन का पता लगाने के लिए तकनीकी साधन और विशेषज्ञता नहीं है. सूत्रों ने समिति की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि यह निश्चित रूप से केंद्र सरकार के संस्थानों का काम है. समिति ने सिफारिश की है कि सरकार द्वारा किसी भी ‘लेन-देन’ की समयबद्ध तरीके से जांच की जा सकती है. मोइत्रा ने समिति के समक्ष और बाहर अपनी टिप्पणियों में यह स्वीकार तो किया है कि हीरानंदानी ने उनके लॉग-इन क्रेडेंशियल का इस्तेमाल किया था, हालांकि उन्होंने इसके लिए किसी प्रकार के ‘लेन-देन’ को खारिज किया है. लोकसभा की आचार समिति ने बृहस्पतिवार को मोइत्रा को सदन से बर्खास्त करने की सिफारिश की.

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