“विदेश मंत्री जयशंकर और डोभाल BRICS बैठक में नहीं होंगे शामिल, पहलगाम कनेक्शन क्या है?”

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,28 अप्रैल।
ब्राजील में आयोजित होने वाली BRICS बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का शामिल न होना किसी बड़े राजनीतिक और सुरक्षा फैसले का संकेत है। इस महत्वपूर्ण बैठक से ठीक पहले दोनों प्रमुख नेताओं ने अपना नाम वापस ले लिया है। सवाल उठता है कि क्यों, और इसका कनेक्शन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले से क्या है?

ब्राजील में 30 अप्रैल को BRICS देशों के विदेश मंत्रियों और सुरक्षा सलाहकारों की बैठक होने जा रही है, जिसमें भारत के एस जयशंकर और अजित डोभाल का नाम भी था। यह बैठक वैश्विक मुद्दों पर मंथन करने का अहम मौका है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जलवायु वित्त, क्रॉस बॉर्डर पेमेंट्स, और मल्टीलेटरल संस्थाओं में सुधार जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी है। लेकिन अचानक दोनों नेताओं का इस बैठक से बाहर होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।

सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत की सुरक्षा स्थिति को और भी संवेदनशील बना दिया है। सुरक्षा और रक्षा मुद्दों पर तेजी से उठाए जा रहे कदमों को देखते हुए, भारतीय सरकार ने यह फैसला किया कि इस वक्त विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का ब्राजील में होना भारत की सुरक्षा के लिए प्राथमिकता नहीं हो सकता। भारत के सीमाई इलाकों पर बढ़े तनाव के मद्देनजर दोनों नेताओं का यहां रहना ज्यादा जरूरी था।

BRICS देशों के संगठन में शामिल पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं — ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका — दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरने की दिशा में अग्रसर हैं। इस संगठन की शुरुआत 2006 में हुई थी और भारत इसके अहम सदस्य के रूप में हर साल होने वाली बैठक में हिस्सा लेता है। हालांकि, इस बार भारत ने अपनी प्राथमिकता स्पष्ट कर दी है।

पाकिस्तान से सटी सीमा पर बढ़ते तनाव और पहलगाम हमले के बाद से देश की सुरक्षा व्यवस्था में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता हो गई है। ऐसे में जयशंकर और डोभाल का ब्राजील न जाना, यह दर्शाता है कि भारत ने अपनी आंतरिक सुरक्षा को वैश्विक मंचों से कहीं ज्यादा महत्व दिया है।

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारतीय सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। भारत की तीनों सेनाएं (थल, जल, वायु) लगातार युद्धाभ्यास और मिसाइल परीक्षण कर रही हैं। सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच, भारतीय सेना के उच्च अधिकारियों के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीडीएस अनिल चौहान की बैठकें भी हो चुकी हैं, ताकि पाकिस्तान की किसी भी नापाक साजिश का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।

हालांकि BRICS देशों के साथ भारत के रिश्ते अहम हैं, लेकिन इस समय भारत के लिए अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखना कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है। पहलगाम हमले ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी गतिविधियों का खतरा बढ़ चुका है और भारत को अपने आंतरिक सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की तत्काल जरूरत है।

अब यह साफ हो गया है कि भारतीय सरकार की प्राथमिकता सीमा सुरक्षा और आतंकवाद से मुकाबला करना है, न कि वैश्विक मंचों पर समय बर्बाद करना। जयशंकर और डोभाल का ब्राजील न जाना, भारत की सुरक्षा नीति में बदलाव और आंतरिक सुरक्षा की अनिवार्यता को दिखाता है। यह फैसला पाकिस्तान को एक और संदेश है कि भारत अब अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा!

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.