पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल का निधन, पीएम मोदी ने जताया दुख
90 वर्ष की उम्र में लातूर स्थित आवास पर ली अंतिम सांस। पीएम मोदी, कांग्रेस और कई नेताओं ने जताया शोक।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12 दिसंबर: पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। 90 वर्ष की आयु में उन्होंने लातूर स्थित अपने आवास ‘देववर’ में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से गंभीर रूप से बीमार थे और घर पर ही उनका इलाज चल रहा था। सुबह उनकी तबीयत अचानक बिगड़ी और कुछ ही समय बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्त किया। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि वे शिवराज पाटिल के निधन से व्यथित हैं। उन्होंने कहा कि पाटिल एक अनुभवी और संवेदनशील नेता थे, जिन्होंने विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष और लोकसभा अध्यक्ष जैसे अनेक पदों पर पूरी निष्ठा से कार्य किया। पीएम मोदी ने बताया कि कुछ महीने पहले उनकी पाटिल से मुलाकात हुई थी। प्रधानमंत्री ने शोक संदेश में कहा कि इस कठिन समय में उनकी संवेदनाएं परिवार के साथ हैं।
शिवराज पाटिल उन चुनिंदा नेताओं में से थे जिन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन में कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। कांग्रेस ने भी उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र से आने वाले पाटिल का राजनीतिक सफर 1973 में शुरू हुआ, जब वे पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए। वे 1973 से 1980 तक दो बार विधायक रहे और इसी दौरान विधानसभा के डिप्टी स्पीकर तथा स्पीकर रहे। 1980 में वे पहली बार लोकसभा पहुंचे और इसके बाद 1984, 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार जीत दर्ज की। वे छह बार सांसद रहे और कई केंद्रीय मंत्रालयों का नेतृत्व किया। उनकी यह जीत 2004 में तब रुकी, जब वे भाजपा की रूपाताई पाटिल निलंगेकर से हार गए।
पाटिल अपनी सादगी, शांत स्वभाव और संतुलित कार्यशैली के लिए जाने जाते थे। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से साइंस और मुंबई विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की थी। 2004 में उन्हें देश का गृह मंत्री बनाया गया। 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया, जिसे राजनीतिक जिम्मेदारी का उदाहरण माना गया।
बीते कुछ महीनों से वे गंभीर रूप से बीमार थे और उनकी स्थिति लगातार कमजोर हो रही थी। परिवार ने उन्हें अस्पताल के बजाय घर पर ही चिकित्सकीय निगरानी में रखा था। शुक्रवार को उनकी हालत बिगड़ी और उन्होंने शांतिपूर्वक अंतिम सांस ली।
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