राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के 30वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11अक्टूबर। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत 12 अक्टूबर, 2023 को अपना 30वां स्थापना दिवस मनाने के लिए एक समारोह का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर, मुख्य अतिथि, भारत के पूर्व राष्ट्रपति, राम नाथ कोविन्द, एनएचआरसी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, सदस्य, डॉ ज्ञानेश्वर एम मुले, राजीव जैन और महासचिव  भरत लाल की उपस्थिति में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करेंगे। स्थापना दिवस समारोह मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति आयोग की प्रतिबद्धता की याद दिलाता है।

अपनी 30 वर्षों की यात्रा के दौरान, आयोग ने 22 लाख से अधिक मामलों का निपटान किया है और मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 230 करोड़ रुपये से अधिक की मौद्रिक राहत के भुगतान की सिफारिश की है। आयोग ने कई घटना स्‍थल जांच, खुली जन सुनवाई और शिविर बैठकें आयोजित की हैं। असंख्य बिलों और कानूनों, सम्मेलनों और अनुसंधान परियोजनाओं की समीक्षा, 28 परामर्शियों के साथ-साथ मासिक समाचार पत्रों सहित 100 से अधिक प्रकाशन, हजारों मीडिया रिपोर्टें और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भागीदारी मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण की दिशा में आयोग के काम की पुष्टि करती हैं।
आयोग द्वारा जारी 28 परामर्शियां जारी की गई, जिसमें भोजन का अधिकार, स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य का अधिकार, अनौपचारिक श्रमिकों के अधिकार, मृतकों की गरिमा को कायम रखना, ट्रक ड्राइवरों के अधिकार, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए परामर्शी, कैदियों द्वारा जानबूझकर खुद को नुकसान पहुंचाने और आत्महत्या के प्रयासों को रोकने/कम करने के लिए परामर्शी तथा नेत्र संबंधी आघात को रोकने और कम करने के लिए परामर्शी आदि शामिल हैं।
पिछले एक वर्ष 01 अक्टूबर, 2022 से 30 सितंबर, 2023 के दौरान, आयोग ने 89,000 से अधिक मामलों का निपटान किया और मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 16 करोड़ रुपये से अधिक की मौद्रिक राहत के भुगतान की सिफारिश की। इस अवधि के दौरान आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 123 मामले भी पंजीकृत किये।
आयोग देश भर के सभी 47 सरकारी मानसिक स्वास्थ्य अस्पतालों, निराश्रित विधवाओं के अधिकारों, आपराधिक न्याय प्रणाली, विकलांगता, नाविकों, एलजीबीटीक्यूआई की सक्रिय रूप से देखभाल कर रहा है; पिछले कुछ महीनों में आयोग ने बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) और मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए। आयोग ने वासनी गांव में चकमा लोगों को भोजन वितरण हेतु निर्देश दिया। आयोग ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जाँच की। आयोग ने बिहार में जहरीली शराब त्रासदी की भी जांच की; अंततः, राज्य द्वारा 2016 के बाद मरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश जारी किया गया। हाल के दिनों में मणिपुर जातीय हिंसा के मामलों में, आयोग ने पीड़ितों के पुनर्वास के लिए मुआवजे का भुगतान करने, मृतकों के परिजनों को क्षतिपूरक रोजगार देने, सद्भाव को बढ़ावा देने, समुदायों को हिंसा का सहारा लेने से रोकने और शांति बनाए रखने का निर्देश दिया है।
आयोग ने कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए सेल स्थापित करने के लिए विभिन्न खेल निकायों को नोटिस जारी किया है। आयोग हजारों बेघर व्यक्तियों को सरकारी योजना के तहत मुफ्त आवास प्रदान करने के लिए नियमित रूप से निर्देश जारी करता रहा है। सांप्रदायिक दंगों और आंतरिक संघर्षों के पीड़ितों को मुआवजा दिया जाता है। आयोग प्राकृतिक आपदाओं, भूमि अधिग्रहण और अन्य कारणों से विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए लगातार प्रयासरत है। कर्ज में डूबे किसानों द्वारा आत्महत्या के मामलों में आयोग ने सफलतापूर्वक हस्तक्षेप किया।
आयोग के कुछ अन्य महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों में 97 कानूनों, जो हैनसेन रोग से पीड़ित व्यक्तिों के लिए भेदभावपूर्ण हैं, में संशोधन की सिफारिश करना शामिल है । सरकार ने प्री-ट्रायल स्‍तर पर एनएचआरसी की परामर्शी के आधार पर बंधुआ मजदूरी के लिए मुआवजा बढ़ा दिया है।
आयोग राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों के एशिया प्रशांत फोरम, राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों के वैश्विक गठबंधन (गनहरी) और संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद सहित अंतरराष्‍ट्रीय मानव अधिकार मचों पर भी अध्यक्ष, सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों की भागीदारी के साथ सक्रिय भूमिका निभा रहा है। पिछले महीने, आयोग ने राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों के एशिया प्रशांत फोरम के दो दिवसीय सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की।
आयोग गैर सरकारी संगठनों और मानव अधिकार संरक्षकों के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। विभिन्न विशेषज्ञों से जुड़े 12 विषयगत कोर समूहों ने आयोग को सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं का मूल्यांकन करने और उन विषयों पर सिफारिशें करने हेतु मेकेनिजम तैयार करने में मदद की है। विशेष मॉनिटर और विशेष प्रतिवेदक, जो आयोग की आंख और कान हैं, आयोग के अधिदेश को जमीनी स्‍तर पर कार्यान्वित करने में सहयोग कर रहे हैं।
आयोग ने अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए कई नई पहल की हैं, जिसमें आयोग के एचआरसीनेट पोर्टल को सभी राज्य प्राधिकरणों और अधिकांश राज्य मानव अधिकार आयोगों के साथ जोड़ना शामिल है। कोई भी व्यक्ति सीधे ऑनलाइन मोड के माध्यम से तीव्र और कुशल तरीके से शिकायत दर्ज कर सकता है और आयोग के पोर्टल पर अपनी शिकायत की वास्तविक प्रगति स्थिति को ट्रैक कर सकता है। ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की प्रणाली पांच लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर और राष्ट्रीय सरकारी सेवा पोर्टल से भी जुड़ी हुई है।
आयोग द्वारा स्थापना दिवस समारोह के बाद 13 अक्टूबर, 2023 को मानव अधिकारों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर राज्य मानव अधिकार आयोगों, विशेष प्रतिवेदकों और विशेष मॉनिटरों के साथ एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

Comments are closed.