विकसित विश्व के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) मोदी सरकार का महत्त्वपूर्ण एजेंडाः पीयूष गोयल
पीयूष गोयल ने विकास को गति देने को नवाचार और निरंतरता पर ध्यान केंद्रित करने के लिये कपड़ा उद्योग का आह्वान किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18अगस्त। कपड़ा, वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि मुक्त व्यापार समझौतों को सफल बनाने में कपड़ा उद्योग बड़ी भूमिका निभाता है। दसवें एशियाई वस्त्र सम्मेलन ‘टेक्सॉन’ में मुख्य वक्तव्य देते हुये उन्होंने कहा कि विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते मोदी सरकार के एजेंडे में प्रमुख स्थान रखते हैं। उल्लेखनीय है कि यह सम्मेलन ‘री-इमेजिंग दी टेक्सटाइल एंड ऐपरल इंडस्ट्री फॉर दी नेक्स्ट डीकेड’ (अगले दशक के लिये कपड़ा और लिबास उद्योग का पुनर्गठन) विषय पर आयोजित किया गया।
गोयल ने कहा कि विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में भारत के अग्रसर होने में नवोन्मेष निर्णायक भूमिका निभायेगा। उन्होंने कपड़ा सेक्टर के सभी मूल्य-श्रृंखलाओं में नवोन्मेष की भूमिका को रेखांकित किया तथा कपड़ा सेक्टर से आग्रह किया कि वह री-साइकलिंग और डिजिटलीकरण पर ध्यान केंद्रित करे। श्री गोयल ने कहा कि यदि उद्योग नवोन्मेष, निरंतरता, डिजिटलीकरण, नवीन उत्पादों और मुक्त व्यापार समझौतों के उपयोग पर ध्यान लगाये, तो वह तेजी से विकास कर सकता है तथा विश्व के सर्वश्रेष्ठ उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकता है।
निरंतरता का उल्लेख करते हुये श्री गोयल ने कहा कि कपड़ा सेक्टर दोबारा उपयोग में आने वाले स्रोतों का इस्तेमाल करके पर्यावरण पर पड़ने वाले दबावों को कम कर सकता है तथा अपनी उत्पादन लागत में भी कटौती कर सकता है।
पीयूष गोयल ने कहा डिजिटलीकरण ऐसा क्षेत्र है, जो इस सेक्टर की पूरी मूल्य-श्रृंखला को बढ़ाने में मदद कर सकता है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि उद्योग के दिग्गज अब डिजिटलीकरण की बात करने लगे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के मौजूदा दौर में, हर उद्योग ब्लॉकचेन, आदि जैसी नई प्रौद्योगिकियों से लाभ उठा रहा है। गोयल ने उद्योग को सलाह दी कि उसे ज़िप (चेन) और लिबास की सुंदरता बढ़ाने वाली सामग्रियों जैसे प्राथमिक उत्पादों तथा उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के बारे में विचार करना चाहिये, जिन्हें अभी यह उद्योग आयात करता है।
गोयल ने कहा कि उद्योग को अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना से बहुत लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब हम आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं, तो हमें 75 वर्षों के दौरान कपड़ा सेक्टर की उपलब्धियों पर गर्व होता है।
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के उस भाषण का उल्लेख करते हुये, जिसमें प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के पांच प्रण, औपनिवेशिक मानसिकता से छुटकारा पाने, विरासत पर गर्व करने, एकता और एकता की भावना को रेखांकित किया था, उन सबका हवाला देते हुये श्री गोयल ने कहा, “सामूहिक ऊर्जा और सामूहिक संकल्प के साथ काम करने के लिये हर नागरिक की अपनी भूमिका होती है। एक अरब 30 करोड़ लोगों का संकल्प प्रधानमंत्री द्वारा प्रदत्त पांच प्रणों को पूरा करने में सहायक होगा।”
कपड़ा मूल्य-श्रृंखला के सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने के लिये भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) की सराहना करते हुये श्री गोयल ने कहा कि ‘री-इमेजिंग दी टेक्सटाइल एंड ऐपरल इंडस्ट्री फॉर दी नेक्स्ट डीकेड’ विषयवस्तु बहुत प्रासंगिक है, खासतौर से भारतीय कपड़ा निर्यात के मामले में, जिसने 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य तय किया है। उन्होंने 10वें एशियाई वस्त्र सम्मेलन की सराहना की कि वह आगे बढ़ने की दिशा में कदम उठा रहा है।
पीयूष गोयल की उपस्थिति में सीआईटीआई और इजिप्शियन कॉटन ने समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किये। दोनों संस्थान आपसी लाभ के लिये मिलकर काम करेंगे।
कपड़ा राज्यमंत्री श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश ने कपड़ा और लिबास उद्योग के दिग्गजों से आग्रह किया कि वे वैश्विक कपड़ा बाजार में होने वाले बदलाव तथा चुनौतियों का सामना करने के लिये तैयार रहें।
कपड़ा सचिव श्री उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि भारत में हर उद्योग और सेक्टर को प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुपालन में अगले 25 वर्षों के दौरान विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय कपड़ा उद्योग में इतनी क्षमता है कि वह वैश्विक बाजार में अपना विस्तार कर सकता है, क्योंकि उसके पास पूरी मूल्य-श्रृंखला मौजूद है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार उद्योग की मौजूदा समस्याओं का समाधान करने के लिये सक्रियता से काम कर रही है।
सीआईटीआई के अध्यक्ष श्री टी. राजकुमार ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि वैश्विक कपड़ा उद्योग इस समय पूरी आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसमें वे देश भी शामिल हैं, जहां से सिले-सिलाये वस्त्र आते हैं। पूरी कपड़ा मूल्य-श्रृंखला में ‘चाइना प्लस वन’ (केवल चीन में निवेश करने से बचना), ‘जहां आपूर्ति श्रृंखला सस्ती है, वहां चले जाना’ या ‘आपूर्ति श्रृंखला को लचीला बनाना’, जैसी शब्दावलियां आमतौर पर सुनी जाने लगी हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक वस्त्र का मूल्य और लिबास का निर्यात 2021 में 828 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। इस तरह पिछले वर्ष के 770 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात से इसमें आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्ष 2021-22 में भारत के कुल निर्यातों में कपड़ा, लिबास यानी सिले-सिलाये वस्त्रों और हस्तशिल्प का निर्यात 10.62 प्रतिशत था। कपास और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक होने के अलावा भारत रेशम उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है। एक अनुमान के अनुसार विश्व बाजार में तकनीकी वस्त्र क्षेत्र की भी हिस्सेदारी 9-11 प्रतिशत तक है।
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