जी.एम. वेदक कॉलेज ऑफ साइंस, ताला (रायगढ़) द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय ई-कॉन्फ्रेंस में नीडोनॉमिक्स-प्रेरित बहुविषयक अनुसंधान का औचित्य प्रस्तुत

ताला (रायगढ़), 06 दिसम्बर: नीडोनॉमिक्स के प्रवर्तक, पूर्व तीन बार कुलपति और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त  प्रो. मदन मोहन गोयल ने आज जी.एम. वेदक कॉलेज ऑफ साइंस, ताला (मुंबई विश्वविद्यालय से संबद्ध)   ग्लोबल फाउंडेशन, इंडिया के सहयोग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय ई-कॉन्फ्रेंस “बहुविषयक अनुसंधान में नए आयामों की खोज” को संबोधित किया।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक एवं प्राचार्य डॉ. एस.एस. मिर्ज़ा ने स्वागत भाषण दिया तथा डॉ. एस.वी. बंगले ने माननीय वक्ताओं का परिचय कराया। श्री संतोष पी. माने अध्यक्ष
ग्लोबल फाउंडेशन, भारत ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
अपने संबोधन समन्वित विज्ञान और नवाचार: बहुविषयक अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए नीडोनॉमिक्स रूपरेखा में प्रो. गोयल ने कहा कि 21वीं सदी में वैज्ञानिक सीमाएँ तेजी से समाप्त हो रही हैं। नवाचार अब रसायन विज्ञान, जीवन विज्ञान, भौतिकी, गणित, सूचना प्रौद्योगिकी, वनस्पति विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान के सम्मिलन से उभर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सम्मिलन केवल बौद्धिक उदारता नहीं, बल्कि मूल्य-आधारित दिशा-दृष्टि भी चाहता है, और नीडोनॉमिक्स इस दिशा-दर्शक का कार्य करता है—जो आवश्यकता-आधारित जीवन, उत्पादन और अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है।
प्रो. गोयल ने जोर देकर कहा कि नीडोनॉमिक्स ऐसा अनुसंधान बढ़ावा देता है जो मानव और पृथ्वी की वास्तविक आवश्यकताओं—जैसे स्वास्थ्य, स्थिरता, ऊर्जा, जैव विविधता और डिजिटल समावेशन—पर केंद्रित हो।
उन्होंने बताया कि किस तरह प्रत्येक अनुशासन इस नैतिक दृष्टिकोण से लाभान्वित हो सकता है—सतत विकास के लिए ग्रीन केमिस्ट्री और जैव-प्रौद्योगिकी, जिम्मेदार तकनीकी प्रगति के लिए भौतिकी और गणित, तथा ज्ञान के लोकतांत्रीकरण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एकीकृत करने वाली शक्ति के रूप में।
वनस्पति विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान को उन्होंने जलवायु लचीलापन और जैव विविधता संरक्षण का मूल मार्गदर्शक बताया।
उन्होंने वैज्ञानिक संस्थानों के लिए एक नीडोनॉमिक्स मॉडल प्रस्तावित किया, जिसमें मूल्य-आधारित दृष्टि, अंतःविषय प्रयोगशालाएँ, आवश्यकता-आधारित वित्तपोषण, समुदाय-संबद्ध अनुसंधान और परिणामों का नैतिक मूल्यांकन शामिल है।
अंत में प्रो. गोयल ने कहा कि नीडोनॉमिक्स द्वारा निर्देशित समन्वित अनुसंधान ही एक सतत, न्यायपूर्ण और मानवीय वैज्ञानिक भविष्य का निर्माण कर सकता है।

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