गंगा दशहरा पर काशी और प्रयागराज में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, स्नान-दान और भक्ति में लीन रहे श्रद्धालु
समग्र समाचार सेवा,
काशी/प्रयागराज, 5 जून: गंगा दशहरा के पावन अवसर पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश के काशी और प्रयागराज में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है। इस दिन हजारों श्रद्धालु दूर-दराज से घाटों पर पहुंचे और पवित्र गंगा स्नान कर पुण्य अर्जन किया।
काशी में भक्ति की गूंज
वाराणसी में दशाश्वमेध घाट सहित सभी प्रमुख घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। लोगों ने गंगा मैया की पूजा-अर्चना, दीपदान और आरती की। भक्ति भाव से ओतप्रोत काशी की गलियों और घाटों पर गंगा मैया की जयकारें गूंजती रहीं।
तीर्थ पुरोहित विवेकानंद ने बताया, “भागीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए तप किया और मां गंगा को धरती पर लेकर आए। यह दिन मोक्ष की प्राप्ति का अवसर है।” वहीं, गुजरात से आए महंत विजय महाराज ने कहा कि “सनातन धर्म में गंगा दशहरा अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है, जब गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुईं।”
प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर उमड़ी भीड़
संगम नगरी प्रयागराज में भी गंगा दशहरा पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर हजारों श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नान किया और दान-पुण्य, हवन, मंत्रोच्चार के साथ मोक्ष की कामना की।
महंत गोपाल ने बताया, “गंगा दशहरा पर मां गंगा स्वर्ग से मृत्युलोक में आईं थीं। इस दिन 10 प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। प्रयागराज में एक रुपये का दान एक लाख रुपये के पुण्य के बराबर माना जाता है।”
प्रशासन सतर्क, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
दोनों ही शहरों में प्रशासन की ओर से कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए थे। घाटों पर एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें तैनात रहीं। भीड़ नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग, ड्रोन निगरानी और स्वास्थ्य शिविरों की भी व्यवस्था की गई।
श्रद्धालुओं की आस्था और उल्लास
काशी और प्रयागराज दोनों ही तीर्थस्थलों पर श्रद्धालु मां गंगा की कृपा पाने को उत्साहित दिखे। एक श्रद्धालु ने कहा, “हम हर साल संगम आते हैं। इस बार गंगा दशहरा पर स्नान करने से आत्मिक शांति की अनुभूति हो रही है।”
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