समग्र समाचार सेवा
गाजियाबाद,5जुलाई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरंसघचालक मोहन भागवत ने गाजियाबाद वसुंधरा स्थित मेवाड़ कालेज में संबोधित करते हुए कहा कि हिंदू-मुस्लिम की एकता की बातें भ्रामक हैं, क्योंकि दोनों एक ही हैं। दोनों का इतिहास और पृष्ठभूमि अलग-अलग हो सकती है, लेकिन पूर्वज समान हैं, दोनों का डीएनए एक ही है। दोनों एक होकर भी एक नहीं हुए, इसकी वजह राजनीति है।
अल्पसंख्यकों के मन में यह डर बिठाया गया कि हिंदू उसको खा जाएगा। अन्य देशों में ऐसा होगा जहां बहुसंख्यक अल्पसंख्यक पर हावी हैं, लेकिन हमारे यहां जो भी आया, वह आज भी मौजूद है। हिंदू-मुस्लिम जब खुद को अलग-अलग मानते हैं, तब संकट पैदा होता है। हम निराकार के साथ आकार की भी श्रद्धा रखते हैं।
बता दें कि सरंसघचालक मोहन भागवत पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के सलाहकार रहे ख्वाजा डॉ. इफ्तखार हसन की किताब ‘द मीटिंग ऑफ माइंड्स’ का मेवाड़ इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में विमोचन करने के लिए उपस्थित हुए थे। इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जो भारत को अपनी मातृभूमि मानते हैं, वे सब हिंदू हैं।
#WATCH | RSS chief Mohan Bhagwat recites a shayari at launch of a book 'The Meetings of Minds: A Bridging Initiative, written by Dr Khawaja Iftikhar Ahmed', in Ghaziabad pic.twitter.com/8awRq5rZaE
— ANI UP (@ANINewsUP) July 4, 2021
गाय को हम अपनी मां मानते हैं, लेकिन गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग सही नहीं हैं। लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व के खिलाफ हैं। उनके खिलाफ कानून को अपना काम करना चाहिए। दोषी चाहें किसी भी समाज का हो, उसे सजा मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश में सब एक हैं, इसका आधार है हमारी मातृभूमि। इसलिए यहां कभी झगड़ा करने की जरूरत नहीं पड़ती। यह हमारी शक्ति है, लेकिन हम इसका उपयोग नहीं करते। भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए हम सबको बड़ा बनना होगा, सबको साथ लेकर चलना होगा। जब हम अपने पूर्वजों के बारे में सोचते हैं तो पाते हैं कि सभी एक हैं। ऐसा सोचने से मन में अपनापन आ जाता है।
मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम का डीएनए एक है और हम वोट की राजनीति में विश्वास नहीं रखते। हमारा प्रयास अगले चुनाव में मुस्लिमों का वोट पाने के लिए भी नहीं है। चुनाव में हम ताकत लगाते हैं, लेकिन हमारा काम राष्ट्र के लिए है। संघ अपनी छवि की परवाह नहीं करता है। दुनिया चाहें जो सोचे, हम अपना काम कर रहे हैं। मनुष्यों को जोड़ने का काम राजनीति के वश का नहीं है। राजनीति इस काम का औजार नहीं है, बल्कि इसे बिगाड़ने का हथियार है।
बता दें कि उनके इसी बयान के बाद से ही विरोधियों की प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई है। उनके बयान को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरएसएस प्रमुख पर निशाना साधा। ओवैसी कहा कि कायरता, हिंसा और कत्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का ही हिस्सा है। वहीं दिग्विजय सिंह ने पूछा कि क्या यह शिक्षा आप मोदी-शाह और भाजपा के मुख्यमंत्री को भी देंगे?
ओवैसी ने ट्वीट में लिखा, ”आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फर्क नहीं पता होगा, लेकिन कत्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। ये नफरत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है।”
RSS के भागवत ने कहा "लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी"।इन अपराधियों को गाय और भैंस में फ़र्क़ नहीं पता होगा लेकिन क़त्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक़, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे।ये नफ़रत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है। 1/3
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 5, 2021
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