गाजा युद्धविराम पर संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव से भारत की दूरी को कांग्रेस ने बताया नैतिक कायरता, उठाए कई गंभीर सवाल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 जून: कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा संघर्ष पर युद्धविराम की मांग वाले प्रस्ताव से भारत का दूरी बनाना “नैतिक रूप से कायरतापूर्ण कृत्य” है। पार्टी ने कहा कि यह निर्णय न केवल भारत की ऐतिहासिक गुटनिरपेक्ष नीति के विरुद्ध है, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की फिलिस्तीन नीति से भी पूरी तरह विमुख है।

भारत ने मतदान में क्यों नहीं लिया हिस्सा?

स्पेन द्वारा पेश किए गए इस मसौदा प्रस्ताव में गाजा में तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम की मांग की गई थी, साथ ही हमास और अन्य समूहों द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की तत्काल रिहाई का भी आह्वान किया गया था।
प्रस्ताव पर हुए मतदान में 149 देशों ने पक्ष में, 12 ने विरोध में वोट दिया, जबकि भारत समेत 19 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया

केसी वेणुगोपाल ने उठाया ऐतिहासिक रुख से हटने का सवाल

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि भारत ने हमेशा शांति, न्याय और मानवीय सम्मान का समर्थन किया है, लेकिन इस बार भारत ने दक्षिण एशिया, ब्रिक्स और एससीओ जैसे मंचों पर अकेले ऐसा रुख अपनाया जो युद्धविराम से दूरी बनाता है।

उन्होंने पूछा:

“क्या भारत अब युद्ध, नरसंहार और अन्याय के विरुद्ध अपने सिद्धांतों से हट गया है?”

वेणुगोपाल ने यह भी पूछा कि पिछले छह महीनों में ऐसा क्या बदला, जिससे भारत सरकार ने युद्धविराम का समर्थन करना बंद कर दिया।

पवन खेड़ा: यह है हमारी विरासत से विश्वासघात

कांग्रेस संचार प्रमुख पवन खेड़ा ने इसे भारत की उपनिवेशवाद विरोधी विरासत और स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों के साथ विश्वासघात बताया। उन्होंने कहा:

“कभी भारत ने फिलिस्तीन के लिए मजबूती से खड़ा होकर इतिहास रचा था। अब वही भारत युद्धविराम जैसे मानवीय प्रस्ताव से दूरी बना रहा है।”

खेड़ा ने याद दिलाया कि:

  • 1974 में भारत पहला गैर-अरब देश था जिसने फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) को मान्यता दी।
  • 1983 में यासिर अराफात को NAM शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया।
  • 1988 में भारत ने फिलिस्तीन राज्य को औपचारिक मान्यता दी।

उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा रणनीति से नहीं, बल्कि सिद्धांतों से न्याय के साथ खड़े होने का फैसला किया है, लेकिन आज वह विरासत “मलबे में तब्दील” हो चुकी है।

मोदी सरकार की विदेश नीति पर कांग्रेस का हमला

कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की विदेश नीति को “नैतिक और कूटनीतिक दिशाहीनता” का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि भारत, जो कभी गुटनिरपेक्ष आंदोलन की आवाज था, अब अपने पुराने मूल्यों को त्याग रहा है और यह विश्व मंच पर भारत की विश्वसनीयता को कमजोर कर रहा है।

भारत की चुप्पी और विपक्ष की चिंताएं

संयुक्त राष्ट्र में भारत के रुख ने एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या भारत अब अपनी परंपरागत नैतिक विदेश नीति से पीछे हट रहा है। कांग्रेस के बयानों ने सरकार से यह सवाल पूछा है कि जब दुनिया युद्धविराम और मानवीय मदद के पक्ष में खड़ी है, तब भारत की चुप्पी क्या संकेत देती है?

 

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