समग्र समाचार सेवा
काठमांडू, 10 सितंबर: नेपाल में जेन-ज़ेड (Gen-Z) क्रांति ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सत्ता छीन ली है। सोमवार और मंगलवार को राजधानी काठमांडू सहित कई शहरों में हुए हिंसक प्रदर्शनों ने राजनीतिक भूचाल ला दिया। हालात इतने बिगड़े कि ओली और राष्ट्रपति दोनों को इस्तीफा देना पड़ा। अब पूरे नेपाल की कमान सेना के हाथों में है।
कैसे भड़की जेन-ज़ेड क्रांति
नेपाल में विरोध की शुरुआत सोशल मीडिया बैन से हुई थी। लेकिन जल्द ही यह आंदोलन भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और शासन व्यवस्था की विफलताओं के खिलाफ बड़े जनआंदोलन में बदल गया। सोमवार को जब प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं, तो हालात और बिगड़ गए। इस गोलीबारी में 20 से ज्यादा युवाओं की मौत हो गई और करीब 400 लोग घायल हुए।
इस घटना ने गुस्से को और भड़का दिया। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, मंत्रालयों, नेताओं के घरों और यहां तक कि राष्ट्रपति के आवास को भी आग के हवाले कर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर में आगजनी के दौरान उनकी पत्नी की मौत हो गई।
KP ओली का पतन और सरकार का संकट
केपी शर्मा ओली ने 15 जुलाई 2024 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभाला था। लेकिन वे केवल 1 साल 2 महीने तक ही पद पर रह सके। प्रदर्शनकारियों ने जब प्रधानमंत्री कार्यालय तक कब्जा जमा लिया और मीडिया हाउस कांटिपुर पब्लिकेशन के दफ्तर को जला दिया, तो ओली ने इस्तीफा देने में ही भलाई समझी।
हिंसक प्रदर्शनों के बीच वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को भी लोगों ने सड़क पर पीट दिया। इससे पहले गृह मंत्री और कृषि मंत्री पहले ही इस्तीफा दे चुके थे।
सूत्रों के मुताबिक, ओली अभी नेपाल में ही हैं और उन्हें एक सुरक्षित ठिकाने पर रखा गया है।
अब नेपाल का भविष्य?
नेपाल में आज राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, सेना प्रमुख और पुलिस प्रमुख की अहम बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि एक अंतरिम सरकार बनाई जा सकती है, जिसमें जेन-ज़ेड नेताओं को भी शामिल किया जाएगा। काठमांडू के मेयर बालेन शाह एक नए चेहरे के रूप में उभर रहे हैं और उन्हें अंतरिम सरकार की कमान मिल सकती है।
हालांकि, राजनीतिक अस्थिरता बनी रहने की आशंका है। अब सवाल यह है कि क्या नेपाल में जल्द चुनाव होंगे या सेना लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रहेगी।
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