समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9 सितंबर: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को वर्चुअल BRICS नेताओं के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रतिनिधित्व किया और मौजूदा वैश्विक अस्थिरता पर गहरी चिंता व्यक्त की। जयशंकर ने कहा कि संघर्ष, आर्थिक उतार-चढ़ाव, जलवायु संकट और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की धीमी प्रगति ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है।
जयशंकर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मैंने आज शाम वर्चुअल BRICS शिखर सम्मेलन में पीएम @narendramodi का प्रतिनिधित्व किया। भारत का संदेश था कि BRICS को अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को स्थिर करने, वैश्विक दक्षिण पर संघर्षों के प्रभाव को संबोधित करने और बहुपक्षीयता में सुधार के लिए सक्रिय रूप से समर्थन करना चाहिए।”
Represented PM @narendramodi at the virtual BRICS Summit earlier this evening.
India’s message was that BRICS should work towards stabilizing the international economy, address the impact of ongoing conflicts on the Global South & proactively support reforming multilateralism.… pic.twitter.com/ubTuyPs02D
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 8, 2025
कोविड, संघर्ष और जलवायु संकट से बिगड़ी स्थिति
सम्मेलन में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आज की दुनिया की स्थिति वास्तव में चिंता का विषय है। पिछले कुछ वर्षों में कोविड महामारी, यूक्रेन और मध्य पूर्व में बड़े संघर्ष, व्यापार और निवेश के प्रवाह में उतार-चढ़ाव और जलवायु संकट का गहरा असर देखा गया है।
जयशंकर ने कहा कि इन चुनौतियों के सामने बहुपक्षीय प्रणाली दुनिया की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी है। उन्होंने जोर दिया कि BRICS के सदस्य अलग-अलग समाजों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन इन घटनाओं का प्रभाव सभी पर पड़ा है।
स्थिर अर्थव्यवस्था और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला पर जोर
जयशंकर ने कहा कि आज वैश्विक अर्थव्यवस्था और विश्व व्यवस्था को स्थिर करना बेहद जरूरी है। इसके लिए छोटी और अधिक विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं की आवश्यकता है, ताकि दुनिया अचानक आने वाले झटकों का सामना कर सके। उन्होंने कहा, “हमें अधिक लचीली और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाएँ बनानी होंगी।”
व्यापार और बहुपक्षीय सहयोग पर भारत का रुख
विदेश मंत्री ने कहा कि व्यापार बाधाएँ और जटिलताएँ किसी भी तरह मददगार नहीं हैं। BRICS को अपने सदस्य देशों के बीच व्यापार प्रवाह की समीक्षा कर एक सकारात्मक उदाहरण पेश करना चाहिए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली को खुला, निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी बनाए रखने पर बल दिया।
संघर्ष और वैश्विक दक्षिण पर प्रभाव
जयशंकर ने चेतावनी दी कि चल रहे संघर्षों का सबसे बड़ा असर वैश्विक दक्षिण पर पड़ा है। खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक सुरक्षा में गिरावट देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि इन संघर्षों का शीघ्र अंत होना चाहिए और इसके लिए कूटनीति के जरिए स्थायी समाधान तलाशना जरूरी है।
UNSC सुधार और जलवायु न्याय पर जोर
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “महत्वपूर्ण मुद्दों पर गतिरोध ने वैश्विक सहमति को कमजोर किया है।”
जलवायु संकट पर बोलते हुए उन्होंने अफसोस जताया कि जलवायु कार्रवाई और न्याय वर्तमान में वैश्विक प्राथमिकताओं से पीछे हट रहे हैं। उन्होंने भारत की पहल जैसे अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा सहनशील बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन की सराहना की।
अंत में जयशंकर ने इस सम्मेलन के आयोजन के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा का धन्यवाद दिया।
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