*कनकलता राय
मचाया भले ही हाहाकार,फिर भी–
2020 तुम्हारा आभार!
तुमने मेरे जीवन पर किया है उपकार।
तूने तन को किया है योगमय,
मन को दिया संतुलित ठहराव,
क्षमाभाव को भी समझाकर,
सोच का किया तूने परिष्कार,
मचाया भले ही हाहाकार, फिर भी–
2020 तुम्हारा आभार!
तुमने उठाया पूरी प्रकृति का भार,
जल थल नभ को स्वच्छ कर,
मानव मन को भी समझकर,
धरा की अहमियत बताकर,
प्रकृति-भाव को किया साकार,
मचाया भले ही हाहाकार, फिर भी–
2020 तुम्हारा आभार!
तुमने हमारी प्रकृति से परिचय कराया–
हमारी रचनात्मकता को बढ़ाया,
अध्यात्म का भी तू पाठ पढ़ाया,
आपस के सम्बंधों को समझाया,
जो जीने का बना आधार।
मचाया भले ही हाहाकार फिर भी—
2020 तुम्हारा आभार!
तुमने सजगता से जीवन जीना सिखाया—
जीवन-मूल्यों से परिचय कराया,
प्रकृति से फिर रिश्ता समझाया,
एकांत को भी सहेजना सिखाया,
स्वयं के परिचय का जो आधार,
मचाया भले ही हाहाकार फिर भी—
2020 तुम्हारा आभार!
@कनकलता राय
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