सरकार ने केंद्रीय बजट 2023-24 में की गई घोषणा के अनुसार ‘कारोबार करने में सुगमता’ बढ़ाने के लिए अनुबंध संबंधी विवादों के जल्द निपटारे का प्रस्ताव रखा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9फरवरी। वित्त मंत्रालय ने आज हितधारकों या संबंधित पक्षों के साथ परामर्श के लिए एक योजना का मसौदा सर्कुलेट या प्रसारित किया। इस योजना का उद्देश्य कुछ ऐसे संविदात्मक या अनुबंध संबंधी विवादों को शीघ्र ही अंतिम रूप देना है जिनमें भारत सरकार या इसकी एजेंसियां वादी हैं। इस योजना का प्रारूप या मसौदा व्यय विभाग की वेबसाइट(https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2023/feb/doc202328158601.pdfके साथ-साथ MyGov.in पोर्टल पर भी उपलब्ध है।
केंद्रीय बजट 2023-24 में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुसार ही इस योजना का मसौदा तैयार किया गया है। केंद्रीय बजट के भाषण के पैरा 67 में श्रीमती निर्मला सीतारमण ने यह घोषणा की थी:
सरकार और सरकारी उपक्रमों के संविदात्मक या अनुबंध संबंधी विवादों, जिनमें मध्यस्थता अवार्डको किसी अदालत में चुनौती दी गई है, को निपटाने के लिए मानक शर्तों वाली एक स्वैच्छिक निपटान योजना शुरू की जाएगी। यह श्रेणीबद्ध निपटान शर्तों की पेशकश करके किया जाएगा जो कि विवाद के लंबित स्तर पर निर्भर करेंगी।
सरकार का कहना है कि लंबित पड़े पुराने विवादों और मुकदमेबाजी को निपटाने के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। ऐसे मामले न केवल नए निवेश को रोक रहे हैं, बल्कि सरकार के साथ कारोबार करने में सुगमता को भी कम कर रहे हैं। इसलिए पिछले मामलों का उचित अध्ययन करने के बाद सरकार का उद्देश्य लंबित विवादों को प्रभावकारी ढंग से निपटाने के लिए “विवाद से विश्वास II (संविदात्मक विवाद)” नामक एकमुश्त समाधान योजना लाना है।
प्रस्तावित योजना की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
यह योजना उन विवादों पर लागू होगी जहां एक पक्ष या तो भारत सरकार या उसके निम्नलिखित निकाय हैं:
ए. भारत सरकार के सभी स्वायत्त निकाय या संस्थाएं;
बी. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थान;
सी. सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम;
डी. केंद्र शासित प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और उनकी सभी एजेंसियां/उपक्रम; और
ई. सभी संगठन, जैसे कि मेट्रो कॉरपोरेशन, जिनमें भारत सरकार की 50% हिस्सेदारी है; हालांकि, ये निकाय निदेशक मंडल के अनुमोदन से अपने विवेक से इस योजना से बाहर हो सकते हैं।
केवल उपर्युक्त निकायों या संस्थाओं से जुड़े विवाद, जहां कार्यवाही के लिए दावा (या तो अदालत में या मध्यस्थता अथवा सुलह के लिए) 30.09.2022 को या उससे पहले संबंधित ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत किया गया था और इस विशिष्ट उद्देश्य के लिए मध्यस्थता न्यायाधिकरण/ सुलह समिति, इत्यादि को खरीद निकाय द्वारा पहले ही अधिसूचित कर दिया गया है, ही इस योजना के माध्यम से निपटान के लिए पात्र होंगे।.
विवाद, जहां उपर्युक्त खरीद निकायों के साथ-साथ किसी अन्य पार्टी (राज्य सरकार या निजी पार्टी) के खिलाफ दावे किए गए हैं, इस योजना के तहत पात्र नहीं होंगे।
खरीद निकायों के खिलाफ केवल वित्तीय दावों वाले विवादों को ही इस योजना के माध्यम से सुलझाया जाएगा।
यह योजना उन सभी ठेकेदारों/आपूर्तिकर्ताओं पर लागू होगी जो इसमें भाग लेना चाहते हैं। यदि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई), इत्यादि किसी विशेष अनुबंध में ठेकेदार/आपूर्तिकर्ता हैं, तो वे भी इस योजना के तहत अपने दावे प्रस्तुत करने के पात्र हैं।
इस योजना में श्रेणीबद्ध निपटान शर्तों का प्रस्तावकिया गया है जो कि विवाद के लंबित स्तर पर निर्भर करेंगी।
इसके तहत केवल घरेलू मध्यस्थता से जुड़े मामलों को ही कवर करने का प्रस्ताव है और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता से जुड़े मामले इस योजना के तहत निपटाने के पात्र नहीं हैं।
यह योजना सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जेम) के माध्यम से लागू की जाएगी, जो इसके लिए एक ऑनलाइन सुविधा प्रदान करेगा। मसौदा योजना के दस्तावेज में उस व्यापक सुविधा का भी उल्लेख किया गया है जो इस योजना को लागू करने के लिए जेम पोर्टल प्रदान करेगा।
मसौदा योजना में संविदात्मक या अनुबंध संबंधी विवादों के निपटान को अंतिम रूप देने के लिए मुकदमेबाजी से जुड़े पक्षों के बीच निपटान समझौते करने का प्रारूप भी शामिल है।
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