दोनों राज्यों की सरकारें पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही हैं, इससे दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता में गिरावट आ रही हैं:केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगाह किया कि पराली जलाने से संबंधित वायु प्रदूषण में अक्टूबर, 2021 की तुलना में अक्टूबर, 2022 में राजस्थान में 160 प्रतिशत और पंजाब में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली ,7 नवंबर।दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार पांचवें दिन ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने के कारण प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने के लिए मजबूर होने को लेकर अत्यधिक चिंता व्यक्त करते हुए, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगाह किया कि पराली जलाने से संबंधित वायु प्रदूषण में राजस्थान में 160 प्रतिशत और पंजाब में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि दोनों राज्यों की सरकारें पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही हैं, इससे दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में गिरावट आ रही हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) प्रभारी भी हैं। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में उत्तरोत्तर गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, इस तरह के अनुमान बताते हैं कि या तो राजस्थान और पंजाब की सरकारें हवा की गुणवत्ता को लेकर गंभीर नहीं हैं या उन्होंने श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा पराली प्रबंधन हेतु मशीनें खरीदने के लिए दिए गए धन का सही उपयोग नहीं किया है।

तालिका 1. अक्टूबर 2021 और 2022 के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पराली जलाने की घटनाओं का विवरण।

                                              खेतों में पराली जलाने की घटनाएं
 अक्टूबर 2021  अक्टूबर 2022
 पंजाब  13269 16004  20% वृद्धि
 हरियाणा  2914  1995  30% गिरावट
 उत्तर प्रदेश  1060  768  38% गिरावट
 राजस्थान 124  318  160% वृद्धि

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर 2018-19 से अब तक केंद्र ने राज्यों को पराली प्रबंधन के लिए 3,138 करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं, जिसमें से अकेले पंजाब को लगभग 1,500 करोड़ रुपये दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह तय करना लोगों पर निर्भर करता है कि क्यों कई राज्य पराली का सराहनीय प्रबंधन करते हुए सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं वहीं पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में इस मामले में उत्तरोत्तर गिरावट से उनकी मंशा, निष्ठा और समृद्धि के बारे में कई सवाल उठ रहे हैं।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत भारत मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के निष्कर्षों के बारे में चर्चा करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, अक्टूबर, 2022 में अक्टूबर, 2021 की तुलना में राजस्थान और पंजाब में पराली जलाने के मामलों में क्रमश: 160 प्रतिशत और 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

पंजाब में खेतों में पराली जलाने के मामले 20 प्रतिशत वृद्धि के साथ अक्टूबर 2021 से अक्टूबर 2022 तक 13269 से बढ़कर 16004 हो गए, जबकि राजस्थान में, 160 प्रतिशत वृद्धि के साथ यह संख्या अक्टूबर 2021 से अक्टूबर 2022 तक 124 से बढ़कर 318 हो गई।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी चिंता व्यक्त की कि दिल्ली में इस साल 7 अक्टूबर को “बहुत खराब” वायु गुणवत्ता वाले दिन के रूप में दर्ज किया गया, जबकि अक्टूबर 2021 में यह शून्य के स्तर पर था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि इसी अवधि के दौरान हरियाणा और उत्तर प्रदेश में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में क्रमशः 30 प्रतिशत और 38 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। हरियाणा में अक्टूबर 2021 में खेतों में पराली जलाने के 2914 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि अक्टूबर 2022 में ऐसे 1995 मामले पाए गए। इसी तरह, उत्तर प्रदेश में अक्टूबर, 2021 में पराली जलाने के 1060 मामलों की तुलना में, इस अक्टूबर में 768 मामले दर्ज किए गए।

वर्तमान नवंबर महीने के पहले पांच दिनों में, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की तुलना में पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में काफी वृद्धि पाई गई है। उदाहरण के लिए, कल यानी 5 नवंबर को पंजाब में पराली जलाने के 2817 मामले सामने आए, जबकि राजस्थान में 91, हरियाणा में 90 और उत्तर प्रदेश में 24 मामले सामने आए। किसी एक दिन में सबसे अधिक आग के मामले 2 नवंबर को दर्ज किए गए, जब खेतों में पराली जलाने के मामले पंजाब में सबसे अधिक 3,634 और राजस्थान में यह संख्या 63 तक दर्ज की गई थी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, पंजाब में नवंबर के पहले पांच दिनों में पराली जलाने के मामलों में असामान्य वृद्धि पूरी तरह से हवा की गुणवत्ता को गंभीर श्रेणी में लाने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, पंजाब ने 1 से 5 नवंबर, 2022 तक पराली जलाने की 13,396 घटनाएं दर्ज की, जबकि अक्टूबर, 2022 के पूरे महीने में यह संख्या 16,004 थी।

तालिका 2

  नवंबर में खेतों में पराली जलाने के मामलों की संख्या
 दिनांक  पंजाब  हरियाणा  उत्तर प्रदेश  राजस्थान
 05/11/2022 2817  90  24  91
 04/11/2022  2437  63  61  34
 03/11/2022  2666  128  40  54
 02/11/2022  3634  166  25  63
 01/11/2022  1842  88  09  27

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत भारत मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान ने वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (एक्यूईडब्ल्यूएस) का संचालन किया है। एक्यूईडब्ल्यूएस द्वारा पीएम2.5 के प्रदूषण स्तर में पराली की आग के योगदान का अनुमान लगाया गया है। 1 नवंबर को योगदान 9.7 प्रतिशत, 2 नवंबर को 7.4 प्रतिशत, 3 नवंबर को 32 प्रतिशत और 4 नवंबर को 17.8 प्रतिशत अनुमानित है।

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