समग्र समाचार सेवा
पटना, 16 अक्टूबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने लगभग अपनी सीट शेयरिंग डील अंतिम रूप दे दिया है। गठबंधन की ओर से आज औपचारिक घोषणा होने की संभावना है।
तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली RJD को 2020 के विधानसभा चुनावों की तुलना में कुछ नुकसान झेलना पड़ा है, जिसके चलते इस बार छोटे सहयोगियों जैसे VIP और वामपंथी दलों की भूमिका को बढ़ाया जा सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, RJD इस बार लगभग 135 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि 2020 में यह संख्या 144 थी। कांग्रेस को इस बार 60 सीटें मिलने की संभावना है, जो पहले 70 थीं। ध्यान देने वाली बात यह है कि कांग्रेस 2020 के चुनावों में 70 में से केवल 19 सीटें जीत पाई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस के लिए ज्यादा सीटें महागठबंधन के लिए नुकसानदेह हो सकती हैं।
VIP के प्रमुख मुकेश साहनी को इस बार लगभग 16 सीटें मिलने की संभावना है। साहनी, जो तेजस्वी यादव की सरकार में डिप्टी CM बनने का दावा करते हैं, ने पहले 30 से 40 सीटों की मांग की थी।
वामपंथी दल जैसे CPI, CPIM और CPIML को इस बार लगभग 30 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को केवल दो सीटें मिलने की संभावना है। JMM लगातार RJD पर दबाव डाल रहा है कि उसे कम से कम 10-12 सीटें दी जाएँ, ताकि झारखंड में गठबंधन की रणनीति का संतुलन बना रहे।
चरण-1 और चरण-2 के लिए बिहार विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को निर्धारित है।
हालांकि महागठबंधन ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की सूची घोषित नहीं की है, लेकिन प्रतिद्वंद्वी NDA ने अपनी उम्मीदवार सूची पहले ही घोषित कर दी है, जिससे उन्हें प्रचार में शुरुआती बढ़त मिल गई है। इस बार प्रशांत किशोर के जनसुराज और असदुद्दीन ओवैसी के AIMIM के दो दर्जन से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के फैसले ने चुनावी माहौल को और रोमांचक बना दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार महागठबंधन का चुनावी प्रदर्शन छोटे दलों और उम्मीदवारों की रणनीति पर भी निर्भर करेगा। खासकर कांग्रेस की सीमित सीटों और VIP व वामपंथी दलों की बढ़ती हिस्सेदारी से बिहार की राजनीति में नया समीकरण बन सकता है।
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