महागठबंधन में 13 सीटों पर आंतरिक टकराव, कांग्रेस और RJD उम्मीदवार आमने-सामने

समग्र समाचार सेवा
पटना, बिहार, 19 अक्टूबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए NDA और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। NDA के सभी घटक दलों ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर नामांकन प्रक्रिया पूरी कर ली है। वहीं, महागठबंधन की सीटों पर स्थिति थोड़ी पेचीदा है। कांग्रेस और RJD के कई उम्मीदवार एक ही सीट पर आमने-सामने हैं। इसे आमतौर पर “फ्रेंडली फाइट” कहा जा रहा है, लेकिन विश्लेषकों के अनुसार 13 सीटों की यह टकराव महागठबंधन के लिए चुनौती बन सकती है।

इन 13 सीटों पर महागठबंधन ने दो-दो उम्मीदवार उतारे हैं:

  1. लालगंज – RJD ने शिवानी शुक्ला को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस के आदित्य कुमार राजा भी मैदान में हैं।
  2. वैशाली – RJD के अजय कुशवाहा और कांग्रेस के इंजीनियर संजीव सिंह आमने-सामने।
  3. रोसड़ा – कांग्रेस ने बी के रवि को उम्मीदवार बनाया, जबकि CPI के लक्ष्मण पासवान ने भी नामांकन भरा।
  4. राजापाकड़ – कांग्रेस की प्रतिमा दास और CPI के मोहित पासवान।
  5. बिहार शरीफ – कांग्रेस के ओमेर खान और भाकपा के शिव प्रकाश यादव।
  6. बछवाड़ा – कांग्रेस के प्रकाश दास और CPI के अवधेश राय।
  7. तारापुर – RJD के अरुण कुमार शाह और VIP के सकलदेव; NDA के बीजेपी उम्मीदवार और उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी मैदान में।
  8. कहलगांव – कांग्रेस के प्रवीण कुशवाहा और RJD की रजनीश यादव।
  9. गौरा बौराम – RJD के अफजल अली और VIP के संतोष सहनी आमने-सामने।
  10. झंझारपुर – CPI के राम नारायण यादव और VIP उम्मीदवार की संभावना।
  11. वारसलीगंज – कांग्रेस के मनटन सिंह और RJD की अनिता देवी।
  12. सिकंदरा – RJD के उदय नारायण चौधरी, कांग्रेस के विनोद चौधरी और AIMIM का भी उम्मीदवार।
  13. कुटुंबा – कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और RJD के सुरेश पासवान; इस सीट पर अभी बातचीत जारी है।

विश्लेषकों का मानना है कि इन सीटों पर फ्रेंडली फाइट के बावजूद गठबंधन का वोट बंट सकता है, जिससे NDA को लाभ होने की संभावना बढ़ जाती है। गौरतलब है कि कुछ सीटों पर RJD और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार वापस लेने की बातचीत भी शुरू कर दी है। उदाहरण के लिए, गौरा बोराम सीट पर RJD ने उम्मीदवार वापस लेने का एलान किया है, जबकि कुटुम्बा सीट पर अभी भी बातचीत जारी है।

चुनाव में महागठबंधन की जुड़वां उम्मीदवार नीति कुछ क्षेत्रों में गठबंधन की मजबूती को कमजोर कर सकती है, और सीटों के प्रतिशत पर इसका असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, महागठबंधन को अब समीकरण सुधारने और उम्मीदवारों की रणनीति स्पष्ट करने की आवश्यकता है, ताकि NDA की बढ़त को रोका जा सके।

 

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