जैन समुदाय के लिए बड़ी खुशखबरी, केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने पर लगाई रोक

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6जनवरी। झारखंड में स्थित सम्मेद शिखरजी अब पर्यटन स्थल नहीं बनेगा। सम्मेद शिखरजी से जुड़े विवाद के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है। जैन समाज की मांगों को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने पुरानी अधिसूचना का विवादित हिस्सा वापस ले लिया है। साथ ही पारसनाथ पहाड़ी पर पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी है। इसके अलावा पारसनाथ पहाड़ी पर शराब और मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध रहेगा। इस संबंध में गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया।

देश भर में प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने जैन समुदाय की मांग पर एक कमेटी का गठन कर दिया है, जिसमें जैन समुदाय के दो और स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को शामिल किया जाएगा। मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन में कहा है कि ‘पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र इस क्षेत्र में अधिसूचना के खंड तीन के प्रावधानों का कार्यान्वयन तत्काल रोका जाता है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और पर्यावरण-पर्यटन गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तुरंत सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।’

भूपेंद्र यादव से मिले थे जैन समाज के लोग
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की जैन समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात के बाद यह आदेश सामने आया है। भूपेंद्र यादव ने जैन समुदाय को आश्वासन दिया था कि सरकार ‘सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र’ की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, जो ना केवल जैन समुदाय, बल्कि पूरे देश के लोगों के लिए एक पवित्र स्थल है।

क्या है मामला?
मालूम हो कि झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है। हालांकि झारखंड सरकार सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने पर विचार कर रही थी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अगस्त 2019 में पारसनाथ पर्वत के आसपास एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचित किया था और राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के अनुसरण में पर्यावरण-पर्यटन गतिविधियों को मंजूरी दी थी। इसी के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर पारसनाथ समेत कुछ जगहों के लिए नीति तैयार करने पर विचार किया जा रहा था।

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