जीएसटी हुआ सरल, दो स्लैब से घटेगी टैक्स की मार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी स्लैब को चार से घटाकर दो करने की घोषणा की, जिससे आम आदमी और उद्योगों दोनों को राहत मिलेगी।
- केंद्र सरकार ने जीएसटी को 5% और 18% के दो मुख्य स्लैब में सरल किया है।
- इस कदम से आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स का बोझ कम होगा, जिससे आम नागरिकों को फायदा होगा।
- नई व्यवस्था का उद्देश्य व्यापार जगत के लिए कर अनुपालन को आसान बनाना और आर्थिक विकास को गति देना है।
समग्र समाचार सेवा
चेन्नई, 14 सितंबर, 2025: भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था को सरल बना दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चेन्नई में ‘व्यापार एवं उद्योग संघों के संयुक्त सम्मेलन – उभरते भारत के लिए कर सुधार’ कार्यक्रम में इसकी घोषणा की। जीएसटी की वर्तमान चार-स्तरीय संरचना को अब दो मुख्य स्लैबों, 5% और 18%, में बदल दिया गया है। यह फैसला आम जनता और उद्योगों, दोनों के लिए टैक्स का बोझ कम करने के उद्देश्य से लिया गया है।
वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि इस सुधार से कई ऐसी वस्तुएं जो पहले 12% और 18% के टैक्स स्लैब में थीं, उन्हें अब 5% के निचले स्लैब में शामिल किया गया है। साथ ही, कुछ अत्यंत आवश्यक वस्तुओं को अब शून्य कर दर के तहत लाया गया है, जिससे वे आम नागरिक की पहुंच में और अधिक होंगी। इस परिवर्तन को देश के 1.4 अरब लोगों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
जीएसटी का मौजूदा ढांचा, जिसमें 5%, 12%, 18% और 28% के चार स्लैब थे, अक्सर जटिलता और भ्रम की स्थिति पैदा करता था। सरकार का मानना है कि इस सरलीकरण से व्यापार करना आसान होगा, कर अनुपालन का बोझ घटेगा और उद्योगों में नया आत्मविश्वास पैदा होगा। इससे उपभोक्ता की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जो अंततः आर्थिक विकास को गति देने में सहायक होगी।
आम जनता और उद्योग जगत को सीधा फायदा
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से रोजमर्रा की जीवनशैली से जुड़े सामान जैसे भोजन, कपड़े और अन्य घरेलू उपयोग की वस्तुओं पर टैक्स कम हो जाएगा। इससे लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए अधिक पैसा बचेगा। उद्योग जगत के लिए, दो स्लैब की प्रणाली रिटर्न फाइलिंग और अन्य प्रशासनिक कार्यों को सरल बनाएगी, जिससे उनका समय और संसाधन बचेगा। यह छोटे और मझोले उद्यमों (MSMEs) के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा, जिन्हें पहले जटिल कर प्रणाली को समझने में काफी कठिनाई होती थी।
यह सुधार इस बात का संकेत है कि सरकार जीएसटी को लागू करने के आठ साल बाद, इसे और अधिक प्रभावी और जन-केंद्रित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कदम ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ (व्यापार करने में आसानी) और ‘ईज ऑफ लिविंग’ (जीवन जीने में आसानी) दोनों के सरकारी लक्ष्यों के साथ मेल खाता है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरल कर प्रणाली से कर चोरी भी कम होगी और सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा, क्योंकि अधिक से अधिक व्यवसाय औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनेंगे।
इस घोषणा को जीएसटी के सफर में एक मील का पत्थर माना जा रहा है, जो भारत के आर्थिक सुधारों को एक नई दिशा देगा और देश को एक मजबूत, स्थिर और पारदर्शी कर प्रणाली प्रदान करेगा।
Comments are closed.