गुजरात सरकार ने 13 लाख छात्रों को 370 करोड़ की छात्रवृत्ति डीबीटी से भेजी
सीएम भूपेंद्र पटेल ने नमो लक्ष्मी सहित चार प्रमुख योजनाओं के तहत छात्रवृत्ति वितरण कार्यक्रम की अध्यक्षता की
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13 लाख से अधिक छात्रों को सीधे बैंक खातों में भेजी गई राशि
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नमो लक्ष्मी, नमो सरस्वती और ज्ञान साधना योजनाओं के तहत वितरण
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डीबीटी के जरिए पारदर्शी और समयबद्ध भुगतान
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बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने पर विशेष जोर
समग्र समाचार सेवा
गांधीनगर,14 दिसंबर: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शुक्रवार को राज्य की प्रमुख शिक्षा योजनाओं के तहत छात्रवृत्ति वितरण कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर राज्यभर के 13 लाख से अधिक छात्रों को 370 करोड़ रुपए से अधिक की छात्रवृत्तियां डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में भेजी गईं।
गांधीनगर में आयोजित इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री हर्ष सांघवी, शिक्षा मंत्री डॉ. प्रद्युमनसिंह वाजा, राज्य मंत्री रिवाबा जाडेजा सहित कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे। छात्रवृत्ति वितरण नमो लक्ष्मी, नमो सरस्वती विज्ञान साधना, मुख्यमंत्री ज्ञान साधना मेरिट स्कॉलरशिप और मुख्यमंत्री ज्ञान सेतु मेरिट स्कॉलरशिप योजनाओं के अंतर्गत किया गया।
बेटी शिक्षा को मिली नई गति
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान ने देशभर में बालिकाओं की शिक्षा को नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रवेशोत्सव और कन्या केलवणी महोत्सव जैसे अभियानों ने गुजरात में शिक्षा के प्रति सामाजिक सोच को बदला है।
केजी से पीजी तक शिक्षा का मजबूत ढांचा
सीएम ने कहा कि गुजरात ने केजी से पीजी तक निरंतर, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के विज़न को साकार किया है। शिक्षा को विकास की आधारशिला बताते हुए उन्होंने युवाओं से समर्पण के साथ अध्ययन करने और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों पर गर्व करने का आह्वान किया।
शिक्षा अवसंरचना में व्यापक विस्तार
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले दो दशकों में राज्य की शिक्षा अवसंरचना में तेज़ी से विस्तार हुआ है। स्मार्ट स्कूल, डिजिटल टूल्स, बेहतर शिक्षक भर्ती, कौशल आधारित शिक्षा और उच्च शिक्षा संस्थानों के सशक्त नेटवर्क ने शिक्षा को अधिक समावेशी बनाया है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न मेरिट स्कॉलरशिप योजनाओं ने विशेष रूप से बालिकाओं की शिक्षा में निरंतरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। साथ ही हॉस्टल सुविधाएं, एसटीईएम लैब्स और व्यावसायिक प्रशिक्षण ने शिक्षा को उद्योगोन्मुख बनाने में योगदान दिया है।
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