गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।
पवन कुमार बंसल।
अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कवि दिनेश रघुवंशी का छलका दर्द – देश विदेश में सेंकडो पुरस्कार मिले – लेकिन अपने प्रदेश की हरियाणा साहित्य अकादमी ने उपेक्षित किया।
बकौल शायर ‘हम भी इन्हे फिजाओं के पाले हुए है – अब यहाँ के नहीं ,यहाँ से निकाले हुए है।
हरियाणा साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष , साहित्यकारों को सम्मानित करती है और उन्हें श्रेष्ठ साहित्यकार का पुरस्कार देती है। दिनेश रघुवंशी जिन्हे देश विदेश में सेंकडो पुरस्कार मिले है और विदेशों में वे अपनी कविताओं से हिंदुस्तान का परचम लहराते है। उन्हें जो पुरस्कार सहित अकादमी ने दिया वो है – साहित्य सेवी का श्रेष्ठ साहित्यकार का नहीं।
हालांकि उन्हें देहरादून में ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने सम्मानित किया और पांच सो से ज्यादा पुरस्कार मिल चुके है।
अपनी वाणी से दिनेश रघुवंशी जो इन दिनों फरीदाबाद में रह रहे है। , देश में फैले धर्मिक उन्माद , रैलियों पर हो रहे लाखो रुपए का खर्च ,विश्व गुरु बनने के दावे और शिक्षा के स्तर में सुधार अदि मुद्दों पर जनता को जागरूक करते रहते है। बुलन्दशहर में साधारण परिवार में जन्मे दिनेश को शरू में ही पारिवारिक आपदाओं का सामना करना पड़ा। छटी -सातवीं की शिक्षा एक साधु की कुटिया में ग्रहण की। संघर्ष के बाद आज इस मुकाम पर पहुंचे है जिससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
‘गुस्ताखी माफ़ हरियाणा ‘से बात करते हुए रघुवंशी ने कहा की हालाँकि विदेशों में कलाकारों को बहुत आदर से देखा जाता है लेकिन हमारे यहाँ तो नेताओं की चरण वंदना की जाती है। फरीदाबाद की सड़को पर घूमते हुए कही भी रुक कर अमरुद और शकरकंदी खरीद कर खाने वाले रघुवंशी एक आम आदमी की जिदंगी जीते है। उनका कहना है की विश्वगुरु विज्ञान और शिक्षा से बनेगा ,जुमलों से नहीं। प्रदेश में सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को लेकर वो चिंतित है। किसानों की समस्याओं का हल और रोजगार उपलब्ध करवाने की जरूरत है। प्रतिभाशाली युवाओं के पलायन को लेकर भी वो चिंतित है। किताबों की दुनिया में जाने की बात कहते हुए उनका मानना है की उपहार में किताब भेंट करे। उन्होंने बताया के बंगाल में बेटी की शादी में किताब भेंट करते है।
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