गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।

पवन कुमार बंसल।

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा:  तो मुझे पंत कह में तुझे निराला।

यह कहावत हरियाणा की एक यूनिवर्सिटी पर खरी उतरती है। उस यूनिवर्सिटी ने एक सज्जन को पत्रकारिता की मानद डॉक्ट्रेट की उपाधि से सम्मानित किया। और मजे की बात है की सम्मानित होने वाले सज्जन की सबसे बड़ी खासियत यह थी की
वो यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर के चयन के लिए बनाई सर्च कमिटी के सदस्य थे और उन्होंने उस सज्जन के नाम की शिफारिश की थी। अब कुलपति लगने के बाद उन्होंने एहशान का बदला चुकाया। डिग्री से सम्मानित सज्जन अब भी हरियाणा सरकार में अहम् पद को सुशोभित कर रहे है। नैतिक शिक्षा और मीडिया पर प्रवचन भी करते है।
वैसे हरियाणा की कोई यूनिवर्सिटीअगर ईमानदारी से पत्रकारिता की मानद उपाधि देना चाहे तो अपन भी उमीदवार है। पैंतालीस वर्ष से कलम घसीट रहा हूँ।
हरियाणा की राजनीत्ति,प्रसाशन और संस्कृति पर दो किताब हरियाणा के लालो के सबरंग किस्से और गुस्ताखी माफ़ हरियाणा लिख चुका हूं, जिसके प्रशंशको में प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया के चीफ रहे न्यायमूर्ति सावंत , पत्रकार खुशवंत सिंह, प्रभाष जोशी और कुलदीप नायर भी रहे है। न्यायमूर्ति सावंत ने कहा की लेखक ने राजनीतिक व्यंग पर साहित्य में वृद्धि तो की ही है बल्कि किताब लिखकर जनसेवा भी की है। हिंदी की किताब होने के बावजूद अंग्रेजी की पत्रिका दी वीक और अंग्रेजी अखबार दी हिन्दू, और इंडियन एक्सप्रेस ने किताब की समीक्षा की थी। क्रिकेट खिलाडी कपिल देव ने कहा था की किताब पढ़कर खेल के मैदान के सारी थकावट दूर हो जाती है। हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन चीफ मिनिस्टर प्रेम कुमार धूमल ने बाकायदा पत्र लिखा की किताब पढ़ कर आनंदित हुआ। राजनीती पर व्यंग मन को प्रफुलित करने वाला है। महृषि दयानन्द विश्विधालय रोहतक के के सी भारद्वाज ने लिखा की लेखक ने पत्रकारिता की नयी विधा को जन्म दिया है।उनका कहना था की बंसल ने नया कदम उठाया है और यह किताब लोक -जीवन एवं मानसिकता ,पत्रकारिता और साहित्य की त्रिवेणी है।

. . रोहतक के पाठक प्रोफेसर हरी सिंह ने कहा की किताब का अनुवाद सभी भाषा में होना चाहिए।आई पी एस अफसर के पी सिंह ने लिखा की पुस्तक में दिए किस्से आम हरियाणी की लोकप्रिय रुचिके अनुरूप है तथा आपकी पत्रकारिता में गहरी पैठ और खोज के परिचायक भी है। अब एस जी टी यूनिवर्सिटी गुरुग्राम में मास कम्युनिकेशन विभाग के डीन सुशील मानव ने लिखा की में आपकी किताब एक सिटींग में ही पढ़ गया। हरियाणा साहित्य शोध संसथान के प्रधान लक्मण सिंह ने लिखा की हरियाणा की राजनीती पर शोध करने वालो के लिए यह किताब प्रकाश-स्तम्भ है। हरियाणा साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सत्यपाल गुप्ता ने लिखा की आपने हरियाणवी साहित्य की महान सेवा की है।

भाई खोजी पत्रकारिता क्यों और कैसे किताब भी लिख चूका हूँ। हरियाणा के प्रतिष्ठित अखबार दैनिक ट्रिब्यून ने लिखा की खोजी पत्रकारिता के
जो गुर सीधी और स्पॉट विधि से इस किताब में बताये गए है वो शायद देश की किसी भी पत्रकारिता की यूनिवर्सिटी में नहीं पढाये जाते। किताब का रोहतक के तिलयार पर्यटन केंद्र पर विमोचन करते हुए जाने माने पत्रकार श्री प्रभाष जोशी ने वहा मौजूद लोगो से कहा था कि मित्रो इस किताब को आने वाली पीढ़ियों के लिए ;लाकर में सम्हाल कर रख लेना क्योंकि आने वाले समय में पवन बंसल जैसे खोजी पत्रकार पर्यटन केंद्र में ही मौजूद चिड़ियाघर में ही मिलेंगे। उस समय में भी भावुक हो गया था। । हिपा जहा आई ए इस और एच सी एस अफसरों का प्रक्षिक्षण होता है वहा उन्हें मीडिया की पारदर्शी पर्शाशन में भूमिका पर लेक्चर देता हूँ।

पैसठ की उम्र में अपन को कोई उपाधि की जरुरत नहीं है बस अपन को तो अपने पाठको का प्यार चाहिए जो मिलता रहता है। वैसे भी उपाधि योग्यता पर नहीं चमचागिरी और थूक चाटने पर मिलती है और अपन को थूक चाटने की आदत नहीं।

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