गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।

पवन कुमार बंसल।

*गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: सपने में भगवान कृष्ण ने लताड़ा।
कल रात ग्यारह बजे तो सोया था और सुबह तीन बजे उठना था सो गहरी नींद में था।इसी बीच अचानक आंख खुली तो देखा की सामने भगवान कृष्ण सुदर्शन चक्र लिए आंखे निकाल रहे थे। उन्होंने कहा की आजकल में उन्हें हरियाणा के बारे कोई रिपोर्ट नहीं भेज रहा। मेने कहा नियमित रूप से आपके व्हट्सप पे गुस्ताखी माफ़ भेजता हूँ. कहने लगे हरयाणा पब्लिक सर्विस कमिशन के बारे रिपोर्ट क्यों नहीं भेजता ?मेने कहा कमिशन का दफ्तर तो पंचकूला में है और गुरुग्राम में रहता हूँ। कहने लगे बहाने न बना कलम उठा और नोट कर। फिर उन्होंने जो जानकारी दी वो पाठको से शेयर कर रहा हूँ।

मेने यह भी कहा की में पैसठ वर्ष का बूढ़ा हूँ। हाइपरटेंशन , हार्ट , प्रोस्ट्रेट ग्लैंड , एसिडिटी और शुगर की बीमारी से पीड़ित हूँ। मेरे को कोई खतरा तो नहीं होगा। भगवान कृष्ण ने कहा की मौत तो जब होगी तय है मुझे भी नहीं पता। तू अपने कर्म कर।

चौटाला की सरकार रहते सिविल सेवा की परीक्षा में धांधली की जाँच तो विजिलेंस कर रहा है। हूडा के समय हुए भर्ती की जाँच अब खट्टर करवा रहे है।
अपन मौजूदा सरकार के चलते जो हो रहा है उसकी जानकारी देंगे।

 

*गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: चर्चा हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा ली गई नायब तहसीलदारो की परीक्षा : पार्ट वन।

नायब तहसीलदार के एक सो पदों के लिए लिखित परीक्षा हुई। पुरे प्रदेश में परीक्षा केंद्र बनाए गए। लेकिन नारनौल प्र्शन पत्र लीक हो गया।
स्पेशल टास्क फाॅर्स और रेवाड़ी पुलिस ने दस लोगो को ग्रिफ्तार किया। पूछताछ पर सनसनीखेज जानकारी मिली।

करनाल के एक स्कूल के कर्मचारी ने प्र्शन पत्र मोबाइल पर पंकज को भेज दिया.उसने सवालों का जवाब लिख कर आगे भेज दिया। पुरे प्रदेश में हाहाकार मच गया परीक्षा रद करने की मांग की गयी। ।

नैतिकता का तकाजा था की परीक्षा रद कर दी जानी चाहिए थी। भरोसेमंद सूत्रों ने गुस्ताखी माफ़ हरियाणा को बताया की तब यह मामला चीफ मिनिस्टर मनोहर लाल के संज्ञान मे भी आया। उनके कई सलाहकारों ने उन्हें परीक्षा रद करने की सलाह दी. कहा की सरकार की छवि और परीक्षा देने वालो का विश्वाश बनाये रखने के लिए परीक्षा रद करना जरुरी है। चीफ मिनिस्टर मनोहर लाल ने लीपापोती करते हुए मामले की जाँच करवाने का फैसला किया। सोच समझ कर जाँच का काम एक विश्वसनीय पुलिस अफसर को सौंपा गया।

वो अफसर मुख्यमंत्री के बॉडी लैंग्वेज को समझता था। । जाँच भी गोलमाल हुई। उस चयन प्रक्रिया पर आज भी सवालिया निशान है? कमीशन के तत्कालीन चेयरमैन ओर एक रिटायर्ड मेंबर तथा जांच अधिकारी की मिलीभगत से मामला ठप्प कर दिया।इससे मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बिन पर्ची ओर बिन खर्ची नोकरी देने के दावे कि भी हवा निकल गई।

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