गुस्ताखी माफ़ हरियाणा -पवन कुमार बंसल।
पोते की शादी में दादा बेगाना – शादी दिग्विजय चौटाला की।
कहते है की मूल से ज्यादा ब्याज प्यारा और दादा को बेटे से ज्यादा पोता प्यारा होता है। पोते में दादा अपनी जवानी देखता है और उसकी चाहत होती है कि वो पोते की शादी करे और फिर पड़पोते को अपनी गोद में खिलाए। लेकिन दिग्विजय और डिप्टी चीफ मिनिस्टर दुष्यंत चौटाला ने ओमप्रकाश चौटाला के साथ अच्छा नहीं किया। शादी में देश की जानी मानी हस्तिया आ रही है लेकिन दादा नहीं।
वैसे प्रचार किया गया की ओमप्रकाश चौटाला के पोते की शादी है। निमंत्रण भी दिया गया लेकिन दिल से नहीं। जहां तक में ओमप्रकाश चौटाला के व्यक्तित्व को जानता हूँ यदि अगर दिग्विजय ,दुष्यंत , अजय चौटाला , नैना चौटाला और मेघना चौटाला , ओमप्रकाश चौटाला के पास जाकर यह कहते कि आप को आना है तो वे जरूर जाते। बेशक ओमप्रकाश चौटाला कितने ही कठोर हो लेकिन वो इतने पत्थर दिल भी नहीं कि पुरे परिवार के आग्रह को ठुकराते।
वैसे यह पहली बार नहीं हुआ। इससे पहले भी वे अपने दादा को तकलीफ दे चुके है।
जब गोहना में पार्टी के रैली हो रही थी तब उनके युवा समर्थको ने हुड़दंगबाजी की थी। फिर जब चौटाला साहिब की धर्मपत्नी मेदांता अस्पताल गुरग्राम में दाखिल थी तब भी वो वह नहीं आये।
अजय चौटाला, दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय को यह नहीं भूलना चाहिए के आज जो उनका रुतबा है वो ओमप्रकाश चौटाला के चलते ही है। चौटाला के चीफ मिनिस्टर रहते अजय चौटाला बड़े भाई साहिब के नाम से महशूर और पुरे प्रदेश में एक्स्ट्रा कोंस्टीटूशनल अथॉरिटी थे। अभय चौटाला तो खेल -कूद में खुश रहता था।
ड्राइंग रूम में सजावट के लिए जिस तरह लिली के एक फूल की जरूरत होती है उसी तरह भाजपा भी एक जाट चेहरा अपने साथ दिखाने के लिए दुष्यंत को झेलने के लिए मजबूर है। लिली का फूल में भी अपने ड्राइंग रूम में रखता हूँ लेकिन एक सप्ताह बाद बदल देता हूँ। वैसे भाजपा को जब मौका लगा वो उनकी पीठ में लात मारने में एक मिनट नहीं लगाएगी। भाजपा ने तो बंसीलाल की सरकार तुड़वा दी और कुलदीप बिशनोई को कही का नहीं रहने दिया।
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