गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: हरियाणवी बोली का कमाल – झोटी और धोती।

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: हरियाणवी बोली का कमाल – झोटी और धोती।

पवन कुमार बंसल।

झोटी मतलब भैंस और धोती मतलब साड़ी।
हरियाणवी बोली कई बार लफड़ा करवा देती है। लफड़ा भी इतना कि जान बचानी मुश्किल। खासतौर पर जब इसका प्रयोग किसी उत्तर प्रदेश के शुद्ध हिंदी बोलने वाले के सामने कर दिया जाए। हुआ यह की राजकीय महाविद्यालय जींद में राधेश्याम शर्मा लेक्चरर थे। बात करीब पचास वर्ष पुरानी है। वे शुद्ध हिंदी बोलते थे। उनकी हिंदी कई बार हरियाणवी बैकग्राउंड के बच्चों को समझ नहीं आती थी और न ही बच्चों को उनकी शुद्ध हिंदी। वैसे बहुत सज्जन थे। राजकीय महाविद्यालय जींद का छात्र रहते में भी अक्सर उनसे मिलता था। भाषण प्रतियोगिता के लिए भाषण लिखवाने। उन्होंने मेरी एक एक कविता भी एडिट की थी।

क्या मैडम की धोती खोल ली ?
रोहतक के वकील प्रदीप मलिक और जाने माने कलाकार महावीर गुड्डू को एक नयी आयी लेक्चरर की कक्षा में भेज दिया। प्रदीप और गुड्डू अक्सर पीछे बैठते थे। लेकिन उस दिन निहायत सीधा दिखने वाला महाबीर गुड्डू बोला आगे बैठेंगे। सबसे आगे वाले बेंच पर वो जम गए। बिलकुल लेक्चर स्टैंड के सामने। जैसे ही प्राध्यापिका आई तो वे दोनों टकटकी बांध उनको निहारने लगे। वो विचलित हो गई। ये बात उन्होंने राधेश्याम शर्मा जिन्हे बंधू जी कहते थे को बताई तो दोनों को वापिस अपने सेक्शन में बुला लिया।

जब उनकी कक्षा में पहुँचे तो गुड्डू ने कहा गुरु जी हम को वापिस क्यों बुलाया तो वो बोले तुम मैडम को परेशान करते हो।? प्रदीप के मुँह से निकल गया गुरु जी हम ने के मैडम की झोटी खोल ली?

बस गुरु जी भड़क गये। मुन्ना तो बाहर निकल जा। प्रदीप को समझ नहीं आया और वो बाहर आ गया। पीछे से गुड्डू ने पूछा गुरु जी इसको बाहर क्यों निकाला तो वो बोले तुमे सुना नहीं उसने क्या कहा।? कहता है मैंने क्या मैडम की धोती खोल ली।? सारी क्लास में ठहाका लगा। गुड्डू ने बताया गुरु जी धोती नहीं झोटी कहा था और समझाया झोटी भैंस को कहते हैं। तब प्रदीप को क्लास में वापिस बुलाया लेकिन मैडम के सेक्शन में फिर भी नहीं भेजा।और झोटी खोलने का मतलब किसी का नुकसान करना।
एक बार बंधू जी साइकिल पर कही जा रहे थे और उन दिनों साइकिल पर प्रकाश करना जरूरी होता था। एक सिपाही ने रोका तो उसे बोले “क्या इस द्विचक्रिका वाहन पर प्रकाश का प्रबंध अनिवार्य है।? सिपाही के पल्ले कुछ नहीं पड़ा और हाथ जोड़कर बोलै जाओ। नहीं होता।

Comments are closed.