पवन कुमार बंसल।
गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: अण्डमान से फिर गुरुग्राम।
बारह दिन अण्डेमान में प्रकृति की गोद में समुन्द्र किनारे बिताकर कल शाम वापिस अन्याय, शोषण, करप्शन, लूट खसोट
की नगरी गुरुग्राम में वापिस आ गया हूँ।
वहा पोर्टब्लेयर का बस स्टैंड देखा क्या शानदार वयस्था। कुर्सियां लगी हुई। महिला कन्डक्टरो के लिए विश्राम कक्ष और शिशु सदन।
यहाँ तो गुरुग्राम बस स्टैंड का बुरा हाल। ट्रांसपोर्ट मंत्री को वहा का दौरा करना चाहिए। ऑटो वाले ट्रैफिक नियमो का पालन करते है और कहने के बाद भी तीन से ज्यादा सवारी नहीं बिठाते। वहा आदिवासियों के जीवन की झलक दिखाने वाला संग्रहालय देखा तो हरियाणा की याद आई।
उसका उद्धघाटन हरियाणा केंद्र के आई ए एस अफसर धंदेन्द्र कुमार जो उस समय केंद्र में संस्कृति सचिव थे ने किया था और वहा उनके नाम का पत्थर लगा था।
फिर सेल्लुर जेल गए और सावरकार की कोठरी भी देखी। वहा की काल कोठरिया और यह देखकर की किस तरह स्व्तंत्रता सेनानियों को कोड़े मारे जाते थे देखकर रोंगटे खड़े हो गए। हमें आज़ादी बहुत लोगो के बलिदान से मिली है। इसे सम्हाल कर रखना बहुत जरुरी है।
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