गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: यारो के यार थे भजन लाल

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: यारो के यार थे भजन लाल
पवन कुमार बंसल।
यारो के यार थे भजन लाल -यार के लिए किसी सीमा तक जा सकते थे। एकाध मामले को छोड़कर खुंदक कम ही निकालते थे।
जींद के तहसीलदार टीकाराम और लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष गुरमेश बिश्नोई के खिलाफ कार्रवाई की।

एक और, प्रसिद्ध उद्योगपति ओमप्रकाश जिंदल के खिलाफ भी नहरी पानी चोरी का और टाडा में केस दर्ज करवा दिया था। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों, पत्रकारों, आई ए एस, आई पी एस अफसरों और कांग्रेस पार्टी के नेताओं को ऐच्छिक कोटे से हुडा के प्लाट दिए तो अपने गनमैन, चपड़ासी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के छोटे कर्मचारियों पर भी कृपा की।विपक्ष के नेताओ पर भी मेहरबान हुए।

एक बार आल इंडिया रेडियो के रिपोर्टर ने उनका इंटरव्यू करते हुए वार्षिक प्लान यानि योजना बारे पूछा तो भजन लाल बोले ” प्लान -वलान ‘ तो चलती रहती है। डी पी आर , बता देगा। मुझे तो यह बता की प्लाट कहा लेना है।

एक बार भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज ने दिल्ली के पत्रकार विवेक सक्सेना को इंटरव्यू देते हुए कहा था की भजन लाल की एक खास खासियत है की वो हर को हर चीज दे सकते है। सक्सेना द्वारा यह पूछने पर की हर चीज का क्या मतलब ? तो सुषमा जी ने जवाब दिया था की आप खुद समझदार हो। जाने – माने पत्रकार उदयन शर्मा ने लिखा था की जो एक बार भजन लाल को मिल लेता है वो उनका मुरीद हो जाता है। फिर चाहे वो विरोधी भी क्यों न हो ?

यह किस्सा मेरे दोस्त कृष्ण कुमार काकड़ ने सुनाया तो एक बार तो यकीन नहीं हुआ। खैर पाठको से शेयर कर रहा हूँ। जब हाई कोर्ट के जज के प्रकोप से अपने यार को बचाया।

सन 1975 तक मंडी आदमपुर में मैसर्स अर्जुनदास लोकराम चायपत्ती के थोक विक्रेता के लोकराम अग्रवाल व्यापार के सिलसिले में लखनऊ चले गए। इन्होंने बताया कि उन्होंने एक हाईकोर्ट के जज से एक कोठी खरीदने के लिए पांच लाख रुपये अग्रिम भुगतान बतौर बयाना दिया। जब फाईनल तारिख नाम कराने की आने लगी तो जज ने कोठी से अलमारी और अनेक तरह की साज सज्जा का सामान उतार कर ले जाना शुरू कर दिया। तब मै गुस्से में उनके आवास पर गया और बताया कि कोठी जैसी है वैसी देने की बात हुई है तो ये सामान क्यों उतार रहे हो? तो वे यह कहते हुए मुकरने लगे कि नहीं- नहीं सामान मैंने देना नहीं किया। मैं तो ये उतारूगां। यदि कोठी नहीं लेनी तो ये एडवांस जब्त। तो मैंने कहा कि एडवांस वाली रकम आज अभी वापिस दो, मुझे नहीं लेनी कोठी।। तो धमकाने लगे कि तू जानता नहीं मै कौन हूँ? यहाँ इस तरह की बात करना बहुत महंगा पड़ सकता है।

ये लोकराम उस जज को ये कहते हुए वापिस लौट आया कि ये मेरी ये पांच लाख की रकम तो आज शाम तक ले कर छोडूगा। कुछ मन में डर भी था।पर मुंह से तैश में आकर निकल गया। अग्रवाल साहब ने आते ही भजनलाल जी को सब बात फोन पर चंडीगढ़ में बताई कि ये इस तरह व्यवहार किया मेरे साथ इस जज ने। तो जवाब आया कि बेटा फिक्र ना कर! आज ही आपकी रकम मिलेगी।

शाम को एक जिप्सी उनके प्रतिष्ठान पर रुकी जिसमें कमांडो थे। बोले लोकराम अग्रवाल आप है तो डरते- डरते हां की। मन में यह डर की कही उस जज ने तो नहीं मेरे खिलाफ पंगा डाल दिया हो। तभी वो बोले कि गवर्नर साहब ने आपको बुलाया है। वहाँ गया तो लाट साहिब के कक्ष में वो ही जज बैठा था। मुझे गवर्नर ने पुरे सम्मान से बैठने को कहा। जज ने बड़ी विनम्रता से ये कहते हुए रकम लौटा दी कि मुझे पता नहीं था कि आप भजनलाल जी के गाँव से हो। ये राज्यपाल बी सत्यनारायण रेड्डी साहब थे। काश कुलदीप बिष्नोई ने यह कला सीखी होती तो आज यह दिन न देखने पड़ते।

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