गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: हूडा राज में हरियाणा, हूडा के पदचिन्हो पर मनोहर
पवन कुमार बंसल।
हूडा राज में हरियाणा, हरामखोर-भ्रष्ट नौकरशाहों और कालोनाइज़रों का स्वर्ग -मनोहर भी हूडा के पदचिन्हो पर।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी सभाओं में बड़े गर्व से कहते थे कि उनकी रगों में स्वतंत्रता सेनानी और सविंधान निर्माता चौ. रणबीर सिंह का खून है इसलिए वे ईमानदारी से अपनी सरकार चला रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने से पहले एक बार हुड्डा हरिद्वार जाते हुए पीली नदी में डूबते-डूबते बचे थे तब उनके समर्थकों ने उन्हें गंगा पुत्र के नाम से नवाज़ा था। मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी सभाओं में भूपेंद्र हुड्डा कहते थे कि नदी में डूबने से बचा हूं और मैने मौत को करीब से देखा है, इंसान के साथ कुछ नहीं जाता, इसलिए मैंने फैसला लिया है कि मैं बिना किसी के दबाव के अपनी आत्मा की आवाज़ पर चलूँगा। । लेकिन कथनी और करनी में दिन रात का फर्क वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए उनके सारे काम इसके उलट ही साबित हुए.
भूमि अधिग्रहण कानून का मिसयूज करके किसान की जमीन बिल्डरों के हवाले
अपने को किसान का बेटा कहने वाले हुड्डा ने भूमि अधिग्रहण कानून का कालोनाइजरों को लाभ देने के लिए जमकर दुरुपयोग किया। उनकी सरकार ने किसानों की जमीन अधिग्रहण के लिए उन्हें कई तरह के सब्ज़बाग दिखाते हुए नोटिस जारी किए। जिससे किसानों ने डर कर औने-पौने दामों पर जमीन बिल्डरों को बेच दी। एक बार बिल्डरों द्वारा जमीन खरीदने पर वे नोटिस वापिस ले लिए गए। इस तरह बिल्डरों को अरबों रुपयों का लाभ हुआ। 15 सितंबर को हुड्डा के जन्मदिन पर गुड़गांव के बिल्डर अंग्रेजी के अखबारों में हुड्डा को जन्मदिन की बधाई देते हुए पूरे के पूरे पेज के विज्ञापन देते थे।
अफसरशाही ने खूब ऐश की
हुड्डा के राज में अफसरशाही ने खूब ऐश की। कहते हैं कि यदि जमीन पर स्वर्ग है तो वो कश्मीर है लेकिन अफसरों के लिए तो हरियाणा कश्मीर से भी बढ़कर है। रिटायर होते ही प्रशासनिक अधिकारियों को किसी पद पर लगा दिया। यही नहीं उन्होंने डबवाली में वर्षों पहले हुए अग्निकांड जिसमें चार सौ बच्चे जलकर मर गए थे के चर्चित आईएएस अफसर एमपी बिडलान जो उस समय वहां से भाग खड़े हुए थे को तरक्की देकर हरियाणा लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाया।
हुड्डा ने अशोक खेमका तथा अफसर संजीव चतुर्वेदी को जमकर परेशान किया। उनके राज में उनके गृहनगर रोहतक में रोंगटे खड़े कर देने वाला अपना घर कांड हुआ जहां नाबालिग लड़कियों का बलात्कार होता था तथा उनकी फिल्म बनाई जाती थी। कांग्रेस के विधायक भी वहां जाते थे।
हुड्डा ने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ भी भेदभाव किया। पंडित श्रीराम शर्मा जिन्होंने 1922 में झज्जर अंग्रेजी हुकूमत का झंडा उतार कर तिरंगा फहरा दिया था की पुत्रवधू निर्मला के देहांत पर हुड्डा वहां शोक प्रकट करने की बजाय लाहली स्टेडियम में चल रहे क्रिकेट मैच देखते रहे। हालांकि वहां जाने का संदेश भिजवा दिया था।
रोबर्ट वढेरा को पटा कर सोनिया पर दबाव बनाया
उन्होंने दलबदल करवा कर सरकार बनाई। हरियाणा में बंसीलाल ने मुख्यमंत्री रहते तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी को गुड़गांव में मारुति फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन दिलाई थी। बंसीलाल समर्थक कहते थे कि जब उन्होंने बछड़े (संजय) को काबू कर रखा था तो गाय (इंदिरा गांधी) कहां जाएगी। उसी नीति पर चलते हुए हुड्डा ने सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा को गुड़गांव में जमीनों के सौदे में मदद की। अब हुड्डा समर्थक कहते थे कि जब दामाद (राबर्ट वाड्रा) हमारे काबू में है तो सास (सोनिया गांधी) कहां जाएगी। हुड्डा राबर्ट वाड्रा का मामला उछलवा कर वे अपना उल्लू साधते रहते हैं।रिलायंस के मुकेश अम्बानी का हरियाणा में पलक पावड़े बिछाकर स्वागत किया।
जाट पहले चीफ मिनिस्टर बाद में
मुख्यमंत्री बनने से पहले हुड्डा कहते थे कि मैं छत्तीस बिरादरी का नेता हूं लेकिन बाद में कहने लगे कि मैं जाट पहले हूं सीएम बाद में हूं। हुड्डा के अपने शहर रोहतक में भी किसानों की जमीन अधिग्रहित कर बिल्डरों के हवाले कर दी।
मनोहर लाल भी हूडा के पदचिन्हों पर
रिटायरमेंट के बाद अफसरों को नियुक्ति दे रहे है। सरकारी सम्पति अपनों को अलॉट कर रहे है। नोकरिया देने में धांधली हो रही है।
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