गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: इबके पक्कम आईओ रे फागुन मॉस में चमन – बारिश में भीगी तेरी याद में चमन।

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: इबके पक्कम आईओ रे फागुन मॉस में चमन – बारिश में भीगी तेरी याद में चमन।

पवन कुमार बंसल।

इबके पक्कम आईओ रे फागुन मॉस में चमन – बारिश में भीगी तेरी याद में चमन।

लीलो चमन की अमर प्रेम कहानी पर बनी फिल्म लीलो चमन का संगीत वाकई गजब है। पिछले पंद्रह दिनों से रोज कई -कई घंटे सरकारी डॉक्यूमेंट पढ़ना।

फिर खबर बनाकर खुद टाइप करके भेजनी। तंग आ गया था और दिमाग की नसे फटने लगी थी। वैसे तनाव दूर करने केलिए गार्डनिंग करता हूँ और सुबह चार बजे उठकर अमृत वाणी,कबीर वाणी ,आबिदा परवीन और कुमार गंधर्व को सुनता हूँ।

आज लीलो चमन के गाने सुने। सारा तनाव दूर हो गया। उम्मीद है की उच्च रक्त चाप की गोली भी बंद हो जाए। पाठको से आग्रह की वो भी सुने। बार – बार सुने। हरियाणा की संस्कृति और गाने कितने समृद्ध है। मुझे हरियाणवी होने पर गर्व है सरकार इसके प्रचार के लिए कुछ नहीं कर रही।
फागुन में विरह गाते लीलो कहती है ‘इबके पक्कम आईओ रे चमन -होली खेलो यहाँ के प्रकाश में चमन।

“चूंदड़ ओढूँगी बीच महल के बीच -ओहल्या काडण आइओ रे ननदी के बीर।
‘गोरी माहरे गांव की जब नीर भरण चाली “.
‘हरी भरी तरकारी ले लो -अपने दिल की प्यारी लीलो ,आलू गोभी मटर टमाटर -बिन पत्या की मूली गाजर। ‘

‘रोटी भी न भाती नींद भी ना आती रे लीलो तेरी याद में। ” में तो मरी होती आज -लड्गया बेरी बिछवा।
रोहतक के बांगड़ सिनेमा वाले राज शर्मा और उनके भाई अशोक शर्मा को मुकरबाद की उन्होंने अपने सीमित साधनो से अड़तीस वर्ष पहले फिल्म बनाई और इस सांग के लेखक धनपत सांगी का नाम भी अमर कर दिया।

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