गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: सांसद अरविन्द शर्मा और मंत्री इंदरजीत ने की मनोहर की आरती
पवन कुमार बंसल।
सांसद अरविन्द शर्मा और मंत्री इंदरजीत ने की मनोहर की आरती। मनोहर ने भी दिया परशाद।
राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन और स्थायी दोस्त नहीं होता। वक्त के मुताबिक रिश्ते बदलते रहते है। हरियाणा का इतिहास तो इससे भरा है। कभी भजन लाल , इंदिरा गांधी को तानाशाह और हाथ के निशान को खुनी पंजा कहते थे लेकिन १९८० के लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस के सत्ता में आने पर पूरी की पूरी हरियाणा सरकार को लेकर कांग्रेस में शामिल हो गए। बोले कांग्रेस तो मेरी माँ है। मेने तो बंसीलाल की ज्यादतियों से तंग आकर कांग्रेस छोड़ी थी और अब में अपने घर वापिस आ गया हूँ।
अब चर्चा अरविन्द शर्मा और मंत्री इंदरजीत की
इन दोनों के मनोहर लाल से लव हेट वाले रिलेशन रहे है। कभी रोहतक से सांसद अरविन्द शर्मा कहते थे की मनोहर लाल में दिमाग नाम की कोई चीज नहीं है और यह तो मनीष ग्रोवर की चाबी से चलता है। रोहतक में एक समारोह में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में रोहतक का सांसद होने के बावजूद भी अरविन्द शर्मा को मंच पर नहीं बिठाया था। अब अरविन्द मनोहर के इतने दीवाने हो गए है जितनी तो मीरा भी कृष्ण की नहीं हुई होगी। कह रहे है की मनोहर दस साल चीफ मिनिस्टर रहेंगे। कभी कहते थे की ब्राह्मण चीफ मिनिस्टर होना चाहिए। अब तो वे मनोहर में ही ब्राह्मण की छवि देखते है।
अरविंद शर्मा ने कहा की वे ब्राह्मण होने के नाते मनोहर को दस वर्ष चीफ मिनिस्टर रहने का आशीर्वाद देते है। वैसे भी ब्राह्मणों के एक और स्वम्भू नेता हरियाणा असेंबली के स्पीकर रहे कुलदीप शर्मा भी कभी कहते थे की वे ब्राह्मण के बेटे है और उन्होंने भूपिंदर का पत्रा देख लिया है और वे तीसरी बार फिर चीफ मिनिस्टर बनेंगे। पंडित जी खुद चुनाव हार गए और हूडा चीफ मिनिस्टर बनने की बजाय मानेसर भूमि घोटाले में अदालत से जमानत पर है।
इंद्रजीत और मनोहर भी एक दूसरे को पंत और निराला कह रहे है।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और भाजपा संसदीय बोर्ड की मेंबर सुधा यादव का चेहरा देखते ही अहीरवाल के ‘राजा ‘ इंद्रजीत को मनोहर कृपा की जरूरत महसूस होती है। बदले हुए हालात में मनोहर को भी इंद्रजीत और अरविन्द शर्मा के प्यार की जरूरत है।
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