गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।
पवन कुमार बंसल।
लीलो -चमन के प्रेम की अमर कहानी -धनपत सांगी और रोहतक के बांगड़ सिनेमा वाले राज शर्मा की जबानी। पार्ट एक।
वासना में डूबे आजकल के प्रेमियों को नसीहत। सच्चा प्यार पवित्र होता है और हमेशा अमर रहता है।
पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रोहतक के निंदाना गांव के धनपत सांगी के बारे लिखा तो लीलो चमन के अमर प्रेम पर लिखने का मन करा।
पाकिस्तान और भारत के विभाजन से पहले लीलो और चमन लाहौर के एक कॉलेज में पढ़ते थे। दोनों का प्रेम हो गया। विभाजन के चलते दोनों प्रेमी एक दूजे से जुदा हो गए। लीलो पाकिस्तान में रह गयी और चमन भारत आ गया। लेकिन दोनों एक दूसरे के लिए तड़पते रहे। चमन अपनी लीलो को ढूंढ़ने पाकिस्तान चला गया।
अपनी लीलो को पाने के लिए चमन दर -दर भटकता रहा। उसने पाकिस्तान में जासूस बनकर सब्जी बेचीं। वो सब्जी लिए गली -गली लिए फिरता और कहता “कोई तरकारी ले लो जी.”आखिर चमन अपनी लीलो को भारत ले आया।
उनकी प्रेम कहानी से प्रभावित होकर धनपत सांगी ने सांग बनाया बनाया जो देश- विदेश में काफी प्रचलित हुआ।
रोहतक के अशोक शर्मा को इस पर फिल्म बनाने का ख्याल आया। उन्होंने अपने भाई और मेरे दोस्त ,यारो के यार , राज शर्मा से बात की। उन्होंने धनपत सांगी के बेटे से सांग का कॉपीराइट खरीदा।
चंद्रावल के बाद लीलो – चमन बहुत चली। हीरो की भूमिका निभाई राज शर्मा ने और हीरोइन बनी शांति चतुर्वेदी. .
‘पास बैठो तो तबियत बहल जायेगी -मौत भी आई तो टल जाएगी’ गीत का म्यूजिक देने वाले सी अर्जुन ने फिल्म में संगीत दिया था।
लीलो की माँ की भूमिका हरियाणा के आई पी एस अफसर एल डी नरवाल की पत्नी इंदिरा नरवाल ने निभायी।
फिल्म की शूटिंग जींद के नजदीक ऐतिहासिक पाण्डु- पिंडारा और तिलयार लेक रोहतक पर हुई। पुलिस अधिकारी रोहताश ने फिल्म में हीरो के दोस्त की भूमिका निभायी।गीत लिखे हरियाणा के जाने- माने हास्य कलाकार मनफूल डांगी ने।चमन की माँ की भूमिका जींद की भूला देवी ने निभाई..
लीलो -चमन का प्रेम अमर हो गया। सांग लिखने के लिए धनपत सांगी को और फिल्म बनाने के लिए अशोक शर्मा और राज शर्मा को ‘गुस्ताखी माफ़ हरियाणा ” का सलाम।
फिल्म के गाने बेहतरीन है। अपने चमन की याद में तड़फती हुए लीलो गाती है “इस फागुन तो आजा मेरे चमन ‘ और कोई तरकारी ले लो जी। ‘
इनका जिकर पार्ट दो में करेंगे।
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