गुस्ताखी माफ़ हरियाणा- पवन कुमार बंसल l

अयोध्या का सच आर एस एस के पूर्णकालीन स्वयं सेवक. एवं पत्रकार देविंद्र स्वरूप की जुबानी

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा- पवन कुमार बंसल l

अयोध्या का सच आर एस एस के पूर्णकालीन स्वयं सेवक. एवं पत्रकार देविंद्र स्वरूप की जुबानी

राजीव गांधी कि इच्छा से विवादित ढांचे (बाबरी मस्जिद) पर से ताला खुल गया था और उसे राम लला के दर्शनों के लिए मुक्त किया गया था? अब यह तो हम भी सुनते आए थे लेकिन इसकी पुष्टि संघ के स्वयसेवक ने की है तो निश्चित तौर पर राममंदिर के ताले खुलवाने का श्रेय राजीव गांधी को जाता है यानि मन्दिर निर्माण की नींव उन्होंने ही रखी थी l

अब मन्दिर निर्माण का सारा श्रेय भाजपा और नरेंद्र मोदी ले रहे हैं और बाईस जनवरी को मन्दिर में रामलला की मूर्ति की स्थापना के अवसर को एक तरह से एन डी ए का चौबीस के लोकसभा चुनाव का अघोषित एजेंडा बना दिया है l ऐसे में मन्दिर में राम लला की मूर्त्ति रखवाने वाले राजीव गांधी की कहीं चर्चा भी नहीं l कल दिल्ली कड़ाके की ठंड में किसी काम से गया तो किताबे पढ़ने की अपनी आदत के चलते कबाड़ में बिकने वाली पुरानी किताबे खरीदने चला गया l वहा देविंद्र स्वरूप की लिखी किताब”अयोध्या का सच” देखी तो तुरंत खरीद ली l किताब ग्रंथ अकादमी नई दिल्ली ने प्रकाशित की है l इसके अलावा लेखक पांच और चर्चित किताबे” संघ बीज से वृक्ष”, संघ राजनीति और मीडिया, हमारे रज्जू भैया, जाति- विहीन समाज का सपना एवम् राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास भी लिख चुके हैं l ऐसा उनकी किताब के बैक पेज पर लिखा था l

मैने पुरानी किताबो के ढेर में उन्हे ढूंढा लेकिन मिली नहीं l अयोध्य’ सत्ता’ का नहीं,’ आस्था ‘ का एजेंडा है शीर्षक से लिखे पेज के कांग्रेसियों के प्रपंच सब शीर्षक के तहत विद्वान लेखक लिखते हैं”क्या राजीव सरकार के गृहमंत्री सरदार buta सिंह द्वारा यह कथा जगजाहिर नहीं कर दी गई है कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आदेश पर उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के सक्रिय सहयोग से विश्व हिन्दू परिषद ने जन्मभूमि- स्थल पर राममंदिर का शिलान्यास किया था? क्या इस गुप्त समझौते के दस्तावेजों को दबा पाना अब संभव है? मतलब अब आर आर आर एस भी मानता है कि मंदिर निर्माण की नींव राजीव गांधी ने रखी थी l

275 पेज की उक्त किताब मैने आज सुबह अपनी दिनचर्या के मुताबिक एक बजे उठकर अमृत वाणी, कबीर वाणी और आबिदा परवीन को सुनते हुए दो बार पढ़ी और यह लेख लिखा l किताब में कम्युनिस्टों, मीडिया और मुलायम सिंह यादव की भूमिका बारे भी लिखा है l जनसत्ता के तत्कालीन प्रधान संपादक प्रभाष जोशी के बारे लेखक लिखता है” ५ मार्च के‘ जनसत्ता‘ में उनके‘ कागद कारे’ स्तंभ को मैने बहुत ध्यानपूर्वक पढ़ा l अयोध्या आंदोलन के दिनों से ही उन्होंने संघ परिवार और विशेषकर विश्व हिन्दू परिषद के प्रति जो आक्रोश का रुख अपनाया है वहीं इस लेख में भी प्रकट हो रहा है l” मुलायम सिंह के बारे लेखक लिखता है”जो रक्षा मंत्री के नाते राष्ट्र की सुरक्षा की चिंता करने की बजाय रात दिन उतर प्रदेश में सत्ता की गोटी बैठाने में मशगूल हो, ऐसे व्यक्ति से वैचारिक ईमानदारी और राष्ट्रीय दृष्टि की आशा रखना ही व्यर्थ होगा l उनके लिए जातिवाद एवं मुस्लिम कट्टरवाद भड़काना ही उनकी अब तक की राजनीति का नियामक सूत्र रहा है l

उनकी राजनीति में कहीं भी राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकता की व्यापक दृष्टि दिखाई नहीं देती l” भाजपा की प्रशंशा करते हुए लेखक लिखता है”भाजपा की राजनीति केवल सत्ता को पाने और सत्ता पर टिके रहने के लिए नहीं हो सकती l उसकी राजनीति का उद्देश्य सत्ता के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना की पुष्टि करना है l दुमछला l अयोध्या में अदानी और अंबानी सेठ को विशेष रूप से बुलाया है तो फिर सवाल पैदा होता है कि हरियाणा की जिंदल स्टील की मालिक सावित्री जिंदल को क्यों नहीं? पचास वर्ष से पत्रकारिता कर रहे और”खोजी पत्रकारिता क्यों और कैसे किताब के लेखक बंसल से pawanbansal2@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है l

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