गुस्ताखी माफ़ हरियाणा- पवन कुमार बंसल।
मिलिए नूंह के तत्कालीन डीसी अशोक शर्मा से, जिन पर करोड़ों की शामलात जमीन अपने करीबी सहयोगियों को हस्तांतरित करने का आरोप है- भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने अभियोजन के लिए सरकार से मंजूरी मांगी है- गेंद मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद के पाले में है, जो पूरी तरह से पेशेवर अधिकारी हैं और कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध हैं।
यह हरियाणा सरकार के मुंह पर सौ बार तमाचा है, जो बेशर्मी से भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करती है। सरकार भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत अभियोजन के लिए मंजूरी नहीं दे रही है, जो अनिवार्य है और शक्तिशाली आरोपी शिकायतकर्ता को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कार्रवाई करना चाहता है और साथ ही शिकायतकर्ता के आरोपों का सामना कर रहा है कि वे आरोपियों के साथ मिले हुए हैं। बेचारा एसीबी यह नहीं बता सकता कि उसके हाथ बंधे हुए हैं और वह हरियाणा सरकार की अनुमति के बिना कार्रवाई नहीं कर सकता l
नूंह जिले के बिस्सर गांव की करोड़ों की शामलात जमीन अशोक शर्मा ने अपने करीबी सहयोगियों को हस्तांतरित कर दी। जले पर नमक छिड़कने के लिए हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यह सुनिश्चित किया था कि अभियोजन की मंजूरी न दी जाए। और फिर हरियाणा सरकार के लिए शर्म की बात है कि कार्रवाई करने के बजाय उसने अशोक शर्मा को हरियाणा राज्य भंडारण निगम का मुख्य सतर्कता अधिकारी नियुक्त कर दिया।
हरियाणा सरकार से न्याय पाने में विफल रहने पर पीड़ित तस्बीर शर्मा ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव, मुख्य सचिव के लिए सतर्कता सचिव, पुलिस महानिदेशक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक अशोक शर्मा और एसीबी गुरुग्राम के एसपी को प्रतिवादी बनाया गया है।
पत्रकारिता के सिद्धांतों का पालन करते हुए मैंने अशोक शर्मा से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया तथा जो उन्होंने कहा उसे प्रस्तुत कर रहे हैंl ”
शिकायतकर्ता की सगी भतीजी की शादी मेरे सगे भतीजे से हुई है तथा पारिवारिक समस्याओं के कारण वह मेरे परिवार के सदस्यों, विशेषकर मेरी पुत्रवधू, जो एक उद्यमी है, से द्वेष रखता है। वह उसे झूठे निराधार मुद्दों में उलझाकर परेशान व ब्लैकमेल करता रहा है। मैंने डीसी के रूप में अनेक मामलों का निपटारा किया तथा विचाराधीन मामलों में अपील दायर की गई तथा आयुक्त सह अपीलीय प्राधिकारी ने इन आदेशों को पूर्णतः विधि सम्मत पाया, अतः मेरे आदेश वरिष्ठ प्राधिकारी के आदेशों में समाहित नहीं रह गए।
यदि सरकार अभी भी असंतुष्ट है तो वह इन आदेशों को निरस्त करवाने के लिए अधिनियम में उपलब्ध उपायों का सहारा ले सकती है। मैंने अपने किसी परिचित व्यक्ति को कोई भूमि हस्तांतरित नहीं की है। एक ओर तो वह कहता है कि उस पर मेरे परिवार का पैसा बकाया है, जबकि वह पहले ही हलफनामा दे चुका है कि उस पर मेरे परिवार का कोई बकाया नहीं है।
यह भी गलत है कि मैं सीवीओ, एचडब्ल्यूसी के पद पर कार्यरत हूं। मेरा चयन सीवीओ के पद पर हुआ था, जहां से मैंने जनवरी में ही त्यागपत्र दे दिया था। उनकी सभी शिकायतों की विभिन्न स्तरों पर जांच की जा चुकी है और उन्हें निराधार और तथ्यों से रहित पाया गया है। ये सभी शिकायतकर्ता की चालें हैं, ताकि वे मुझे ब्लैकमेल कर सकें और खराब पारिवारिक संबंधों के कारण मेरा नाम खराब कर सकें। मुझे अपने बयान के समर्थन में सभी दस्तावेज साझा करने में खुशी होगी।
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