
पवन कुमार बंसल।
देख क्या रहा है -ठूँग ही तो मारनी है।
हमने ओम प्रकाश चौटाला का जिक्र किया। किस्सा दो दशक पुराना है। तब वे चीफ मिनिस्टर थे और रोहतक में सोनीपत रोड पर स्थित पार्टी दफ्तर में लोगो से मिल रहे थे। एक बुजर्ग ने उन्हें कोई कागच दिया और उसपर दकसत करने को कहा। शायद रोहतक डिप्टी कमिश्नर के पास कोई काम था।
चौटाला साहिब ने कागच पड़ने के लिए चश्मा लगाया तो उस बुजर्ग को अच्छा नहीं लगा। ठेठ हरियाणवी अंदाज में कहने लगा कि देख क्या रहा है। ठूँग यानि दकसत ही मारने है मार दे।
चौटाला साहिब ने उस बुजर्ग की तरफ देखा. मुस्कराये और बिना पड़े ठूँग मार दी यानि दकसत कर दिए।
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