गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: नाराज होने पर बड़े से बड़े फन्ने खान को धूळ चटाने में मजा लेते है ओल्ड रोहतक के लोग।

पवन कुमार बंसल।

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: नाराज होने पर बड़े से बड़े फन्ने खान को धूळ चटाने में मजा लेते है ओल्ड रोहतक के लोग।

पुराने रोहतक जिले जिसमे मौजूदा सोनीपत और झज्जर जिले भी आते है के लोग काफी मुंहफट है। वैसे दिल के साफ है और कोई पेट पाप नहीं। कमजोर की मदद करते है, लेखक रोहतक में ही पैदा हुआ और वहा दो दशक पत्रकारिता की। कभी पूरा प्राइम मिनिस्टर चरण सिंह के दीवाने थे लेकिन जब मोहभंग हुआ तो रोहतक लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी गायत्री देवी की जमानत जब्त करवा दी।

देवी लाल को महम असेम्ब्ली से जितवाया लेकिन जब उखड़े तो मेहम उपचुनाव इलेक्शन में उनके बेटे तत्कालीन चीफ मिनिस्टर ओम प्रकाश चौटाला की कांच निकाल दी। फिर वहा से आनंद सिंह दांगी को जिताया और जब उससे उखड़े तो बाली पहलवान को जिता दिया। कभी हूडा के पिता को हरवा दिया। फिर देवीलाल से उखड़े तो राजनीती के नए खिलाडी भूपिंदर हूडा को देवीलाल के मुकाबले तीन बार लोकसभा का चुनाव जिता दिया। फिर हूडा को हरा कप्तान इन्दर सिंह को जीता दिया। २००५ से रोहतक लोकसभा का चुनाव यहाँ तक के मोदी वेव में २०१४ में लोकसभा चुनाव जितने वाले दीपेंदर हूडा को अरविन्द शर्मा से हरवा दिया।

काफी समझदार है और मूड के हिसाब से फैसला करते है। ईमानदार अफसरों की कदर करते है।

एक बार मेहम की एक वृद्धा रोहतक के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर गुलाब सिंह के पास कोई काम गयी। काम में क़ानूनी अड़चन थी। वैसे गुलाब सिंह भले थे। सब की इज्जत करते थे। अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा की यह काम मेरे बस का नहीं। बस वो वृद्धा बोली ठीक है। मेरे पास किराये के पैसे नहीं है। पैसे देने तो तेरे बस का है। गुलाब सिंह ने उसे बस स्टैंड भिजवा बस में बिठवाया।

एक बार एक बुजुर्ग तत्कालीन चीफ मिनिस्टर चौटाला से उलझगया था। उसने चौटाला को कोई एप्लीकेशन देकर दकसत करने को कहा। चौटाला चश्मा लगा कागच पड़ने लगे तो चौधरी बिगड़ गया। बोलै पढ़ क्या रहा है ठूँग ही तो मारनी है मार दे। ठूँग यानि दकसत। बस चौटाला ने ठूँग मार दी.

देवीलाल के चीफ मिनिस्टर रहते कुछ लोग चंडीगढ़ सचिवालय में एक मंत्री के पास काम गए। मंत्री ने ठंडा दूध पिलाया और महकमे के मैनेजिंग डायरेक्टर को फ़ोन करने चौधरियों को उसके सेक्टर सत्रह दफ्तर जाने को कहा। अफसर कही मीटिंग में गया था। सो चौधरी सचिवालय में वापिस आकर उस मंत्री से बोले देख लिया अफसर नहीं मिला। अगले चुनाव में तेरी कांच निकालेंगे। और हर बार किसी न किसी के कांच निकालते रहते है मतलब पंगेबाजी में अपनी कांच निकलवाते रहते है. ..

देखो अब क्या राजनितिक फैसला करते है।

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