गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: विज के दरबार – पार्ट टू।

पवन कुमार बंसल।
गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: विज के दरबार – पार्ट टू।

विज के दरबार में जनता अकेले ही पुलिस के खिलाफ शिकायत नहीं करती बल्कि काफी मझोले स्तर के पुलिस कर्मी भी अपनी समस्याएं लेकर आते है। वैसे इनका समाधान आला पुलिस अफसर खुद कर सकते है और करना चाहिए भी। पुलिस कर्मचारी वेलफेयर विभाग भी है। सुना है की

कुछ पुलिस कर्मचारी अपनी व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सेवा संबंधी समस्याओं के सिलसिले में विज समक्ष उपस्थित हुए। मंत्री जी ने उनके लिए तुरंत उचित आदेश कर दिए।

जींद में तैनात एक कांस्टेबल जिसके पत्नी दिल्ली में टीचर है पारिवारिक कारणोंसे पोस्टिंग गुरुग्राम में चाहता था। उसने महकमे के अफसरों से गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

यदि रेंज के पुलिस महानिरीक्षक परस्पर सहमति के आधार पर अथवा पुलिस महानिदेशक उनकी समस्या का समय से निराकरण कर देते तो उन्हें विभागीय क्रम एवं प्रक्रिया तोड़ कर सीधा मंत्री महोदय के पास क्यों जाना पड़ता? ऐसी घटनाओं को अन्य पुलिस कर्मचारी भी देखते हैं। कल को वे भी राजनीतिक शरण में क्यों नहीं जायेंगे?

Comments are closed.