गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: थानेदार चंद्र मोहन छाबड़ा , चौकी जींद

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: थानेदार चंद्र मोहन छाबड़ा , चौकी जींद
पवन कुमार बंसल।

बात 1974 के दौरान की है। स्वदेश सेठी जिला जींद के एसपी थे। सेठी साहब को बहुत लोगों ने शिकायत की के पटियाला चौक और नहर के आस-पास कुछ शरारती तत्व लड़कियों और औरतों से छेड़खानी करते है। उस जमाने में स्कूटर- मोटरसाइकिल बहुत ही कम हुआ करते थे और सभी पुलिस वालों के पास साइकिल हुआ करती थी। इन शिकायतों से निपटने के लिए सेठी साहिब ने थानेदार चंद्र मोहन छाबड़ा जी की ड्यूटी लगाई।

पदभार ग्रहण करते ही छाबड़ा ने गुंडा तत्वों पर नकेल कसना शुरू कर दिया शराबियों, स्टोरीओं आवारागर्दी करने वालो पर गाज गिरनी शुरू हो गई ।
एक दिन जाट कॉलेज के छात्र प्रधान ने राह चलती लड़की का दुपट्टा छीन लिया। साइकिल पर गश्त कर रहे छाबड़ा जी ने देख लिया अपने आप को एंडी तुर्रम खां कहने वाला स्टूडेंट यूनियन का वह प्रधान जब पटियाला चौकी पकड़ कर लाया गया अपना रोब झाड़ने लगा। लेकिन छाबड़ा जी ने उसकी कोई परवाह ना की और समय पटियाला चौक पर लाकर सरे आम लोगों के बीच में बेइज्जत किया और पिटाई की ।

रोज रोज होने वाली छितर परेड से सभी गुंडा तत्वों के दिमाग में डर धर गया था कि यदि गलत काम किया तो छितर परेड होगी। अब जिला में पुलिस ,गुंडा और आम लोगों ने भी यह कहना शुरू कर दिया था की अपराधी तत्वों का इलाज तो छाबड़ा चौकी पर होता है। उसके बाद से इलाके के लोग अपनी बहू बेटियों और जानमाल की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त हो गए तथा उसके बाद किसी तरह की छेड़खानी व लड़कियों के साथ कोई वारदात ना हुई।

आई जी मनमोहन सिंह उन्हें बहुत स्नेह देते थे। रिटायरमेंट के बाद छाबड़ा जी अपने बेटे सुनील के पास नरवाना रहते थे। एक बार मनमोहन सिंह उनके घर गए और सुनील को कहा की तेरे पापा बहुत बढ़िया अफसर रहे है। फिर छाबड़ा से पूछा के पुत्र सेवा करदा है या नहीं?

वैसे मनमोहन सिंह महान थे। अच्छा काम करने वाले अधीनस्थों की बहुत इज्जत करते थे। रिटायरमेंट बाद एक बार नरवाना के तत्कालीन डीएसपी सुभाष यादव के दफ्तर में अचानक पहुंच गए और अपना परिचय दिया। सुभाष यादव उन्हें शकल से नहीं जानते थे। कहा की सर मेरे लिए कोई आदेश। मनमोहन सिंह ने कहा ,काका कोई आदेश नहीं। यहाँ अपने रिश्तेदार के पास आया था और उसने तेरी इतनी तारीफ कर दी के तेरे को मिलने का दिल कर गया।

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