“रक्त संबंधी विकारों के लिए जागरूकता एवं उपचार के लिए बहु हितधारक दृष्टिकोण रखने से पूरे देश का समर्थन जुटाने में सहायता मिलेगी “:डॉ. भारती

डॉ. भारती प्रवीण पवार ने थैलेसीमिया बाल सेवा योजना के तीसरे चरण की शुरुआत की

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9मई।स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार,ने आज यहां विश्व थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य मंत्रालय की थैलेसीमिया बाल सेवा योजना (टीबीएसवाई) के तीसरे चरण का शुभारंभ किया, जिले कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा उनके कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) पहल के रूप में समर्थन दिया जा रहा है। उन्होंने थैलेसीमिया बाल सेवा योजना पोर्टल भी लॉन्च किया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार झा और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. राजीव बहल भी उपस्थित थे।

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थैलेसीमिया एक वंशानुगत रोग है जो शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम होने की वजह से होता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत 2017 से टीबीएसवाई को लागू किया जा रहा है और हाल ही में मार्च 2023 में इसका दूसरा चरण पूरा हुआ। कोल इंडिया सीएसआर द्वारा आर्थिक सहायता से हेमैटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांस्प्लांट (एचएससीटी) कार्यक्रम उन गरीब थैलेसीमिया रोगियों के लिए एक अनूठी पहल है जिनके पास ट्रांसप्लांट के लिए मैच डोनर संबंधी होते हुए भी इस प्रक्रिया के लिए आर्थिक संसाधन नहीं होते। इस कार्यक्रम के तहत  दो चरणों में भारत के 10 इंपैनल्ड अस्पतालों में थैलेसीमिया रोगियों के लिए 356 हड्डी मज्जा प्रत्यारोपण को सफलतापूर्वक पूरा किया है।

डॉ. भारती प्रवीण पवार ने बताया कि “थैलेसीमिया और सिकल सेल बीमारी जैसी रक्त संबंधी बीमारियों के खिलाफ लड़ाई मजबूत करने के लिए बीमारी की स्क्रीनिंग को बढ़ाना, जागरूकता और सलाह के अवसर बढ़ाना और उपचार सुविधाओं को बढ़ाना महत्वपूर्ण है।” रक्त संबंधी विकारों के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए विभिन्न हितधारकों से आग्रह करते हुए, उन्होंने कहा कि “बहु-हितधारक दृष्टिकोण रक्त संबंधी विकारों के उपचार और जागरूकता के लिए देशभर से समर्थन को जुटाने में मदद करेगा।” उन्होंने भागीदार मंत्रालयों और सीआईएल जैसे अन्य हितधारकों के प्रयासों की सराहना की और उन्हें इस तरह की स्टिग्मा और गलत धारणाओं को दूर करने और सिकल सेल बीमारी के बारे में अधिक जागरूकता उत्पन्न करने के लिए अपने प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और थैलेसीमिक्स इंडिया को बधाई दी और टीबीएसवाई के तीसरे चरण में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया।

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इस अवसर पर डॉ पवार ने सिकल सेल रोग के लिए मानक उपचार वर्कफ़्लो को भी जारी किया। यह आईसीएमआर द्वारा विकसित किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने संयुक्त सरकार की सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों के उपचार के लिए ई-रक्तकोश पोर्टल और ट्रांसफ्यूजन की जरूरत के लिए 1.5 लाख स्वास्थ्य और स्वस्थ वेलनेस केंद्रों के नेटवर्क जैसी विभिन्न पहलों का लाभ उठाने की जरूरत को उजागर किया।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव श्री राजेश भूषण,ने बताया कि टीबीएसवाई सिकल सेल रोग के उपचार संबंधी पहलूओं पर ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने रोग को स्वास्थ्य प्रणाली के अंतर्गत लाने और सलाह देने जैसे अन्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस पहल के तहत जागरूकता फैलाने और सलाह प्रदान करने के लिए कई हितधारकों को लाने की भी आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने बताया कि केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय देश भर में सिकल सेल रोगियों को तीसरे चरण का उपचार प्रदान करने के लिए सुविधाओं को बढ़ाने पर काम कर रहा है।

श्री अनिल कुमार झा, सचिव (एमओटीए) ने कार्यक्रम के तीसरे चरण की शुरूआत को रोग को सम्पूर्ण रूप से समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर कहा। उन्होंने सभी हितधारकों से अपील की कि वे सभी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संगठनों के साथ मिलकर उत्कृष्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में शामिल हों ताकि सिकल सेल रोग के इलाज के लिए एक विश्वसनीय संरचना बनाई जा सके।

डीएचआर के सचिव डॉ. राजीव बहल ने बताया कि थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है यदि उसकी स्क्रीनिंग और इलाज समय से किया जाए तो उसे समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने बोनमैरो ट्रांस्प्लांट करने की क्षमता को बढ़ाने की जरूरत को उजागर किया और याद दिलाया कि आईसीएमआर सीआईएल जैसे संगठनों के साथ मिलकर इस क्षमता को पूरा करने की दिशा में काम कर रहा है।

कार्यक्रम का तीसरा चरण में एचएससीटी करने वाली संस्थाओं को सीआईएल से सीधे 10 लाख रुपये की शुल्क दर के पैकेज के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना जारी रहेगा। यह कार्यक्रम गरीब थैलेसीमिया रोगियों और एप्लास्टिक एनीमिया के रोगियों को लाभ पहुंचाएगा, जो एक ऐसी बीमारी है, जिसका यदि उपचार न हो तो जीवन खतरे में पड़ सकता है। इस कार्यक्रम में भारत के 10 प्रतिष्ठित अस्पतालों को शामिल किया गया है, जिनमें नई दिल्ली का एम्स, वेल्लोर का सीएमसी, मुंबई का एमसीजीएम अस्पताल, मुंबई का कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल , चंडीगढ़ का पीजीआईएमईआर , नई दिल्ली का राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, लखनऊ का एसजीपीजीआई, बैंगलोर का नारायण हृदयालय, लुधियाना का सीएमसी और कोलकाता का टाटा मेडिकल सेंटर शामिल हैं।

सीआईएल ने योजना के लिए ऑनलाइन आवेदनों को सशक्त बनाने के लिए एक वेब-पोर्टल बनाया है। मरीज पंजीकरण करने से लेकर बंद करने तक अपने आवेदन की प्रगति को पोर्टल के माध्यम से रियल-टाइम में जान सकेंगे। यह पोर्टल योजना के तीसरे चरण के साथ शुरू किया जा रहा है। यह कार्यक्रम सीएसआर की एक सफल पहल का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो थैलेसीमिया रोगियों और उनके परिवारों के जीवन में वास्तविक बदलाव ला रहा है। आशा है कि योजना के तीसरे चरण से थैलेसीमिया रोगियों और उनके परिवारों को आशा और राहत लाना जारी रहेगा, और एक स्वस्थ और उदार भारत के निर्माण में योगदान देगा।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त महासचिव श्री विशाल चौहान, डीजीएचएस के डॉ अतुल गोयल, एनबीटीसी के अतिरिक्त सहायक महानिदेशक डॉ अनिल कुमार , कोल इंडिया लिमिटेड की सीएसआर श्रीमती रेणु चतुर्वेदी , थैलेसीमिक इंडिया के अध्यक्ष श्री दीपक चोपड़ा, थैलेसीमिक इंडिया के उपाध्यक्ष, श्री वी के खन्ना, थैलेसीमिक इंडिया की सचिव श्रीमती शोभा तुली तथा राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिव और मिशन निदेशक और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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