समग्र समाचार सेवा
देहरादून, 6 अगस्त: उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से जारी भारी बारिश ने विनाशकारी रूप ले लिया है। उत्तरकाशी जिले में बादल फटने की घटना में चार लोगों की मौत हो चुकी है और 50 से अधिक लोग लापता हैं। नदियां उफान पर हैं और पहाड़ों से लगातार मलबा गिरने के चलते केदारनाथ यात्रा को स्थगित कर दिया गया है।
SDRF ने बचाए 1800 श्रद्धालु
एसडीआरएफ ने अपनी तत्परता दिखाते हुए केदारनाथ से लौट रहे 1800 से ज्यादा तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाला है। पुलिस और प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि अगले आदेश तक यात्रा स्थगित रखें और जहां हैं, वहीं सुरक्षित रहें।
एसपी रुद्रप्रयाग अक्षय प्रल्हाद कोंडे ने जानकारी दी कि सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच मलबा व पत्थर गिरने के कारण मार्ग अवरुद्ध हो गया है। मन्दाकिनी और अलकनन्दा नदी का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है।
स्कूल बंद, जनजीवन अस्त-व्यस्त
भारी बारिश के चलते देहरादून समेत 7 जिलों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं। बागेश्वर जिले में सरयू और गोमती नदियां उफान पर हैं। पहाड़ों में लगातार बारिश के कारण सड़कों पर मलबा और जलभराव के चलते आवाजाही बाधित है।
पैदल मार्ग भी बंद, पुलिस बल अलर्ट
गौरीकुंड से केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग भी कई स्थानों पर बाधित हो गया है। पुलिस बल अलर्ट मोड पर है, और हर जगह निगरानी बढ़ा दी गई है। यात्रियों से कहा गया है कि वे नदी किनारे न जाएं और किसी भी स्थिति में अनावश्यक यात्रा से बचें।
SDRF का अल्मोड़ा में रेस्क्यू ऑपरेशन
अल्मोड़ा के सोमेश्वर क्षेत्र के सर्प गांव में कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से कुछ घरों में पानी घुस गया। SDRF की टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर करीब 20 लोगों को रेस्क्यू कर पंचायती भवन में सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया। टीम वहां तैनात है और हालात पर नजर बनाए हुए है।
प्रशासन की अपील और रेड अलर्ट
मौसम विभाग ने अगले कुछ घंटों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। पुलिस और प्रशासन की ओर से लोगों से अपील की गई है कि वे बेवजह यात्रा न करें, और नदी नालों से दूर रहें। सभी प्रशासनिक एजेंसियां राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं।
उत्तराखंड में आई इस भीषण आपदा ने एक बार फिर राज्य की भौगोलिक संवेदनशीलता और आपदा प्रबंधन की गंभीरता को उजागर किया है। SDRF, पुलिस और प्रशासन के त्वरित रेस्क्यू प्रयासों से कई जानें बचाई गईं हैं, लेकिन अभी भी खतरा टला नहीं है। जन सहयोग और सतर्कता ही इस आपदा से निपटने का सबसे बड़ा हथियार है।
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