देश में उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार का पावरहाउस बनने की क्षमता है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय आगुंतक सम्मेलन संपन्न
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12जुलाई। राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय आगंतुक सम्मेलन 11 जुलाई, 2023 को संपन्न हुआ।
दूसरे दिन , सम्मेलन में टिकाऊ विकास के लिए शिक्षा: एक बेहतर दुनिया का निर्माण विषय पर विचार-विमर्श किया गया। पांच अलग-अलग समूहों ने नई शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 को वास्तविक रूप प्रदान करने जैसे उप-विषयों पर विचार-मंथन किया। इस दौरान अंतर्राष्ट्रीयकरण के प्रयास और जी-20; अनुसंधान योगदान और मान्यताएं, विविधता, समानता, समावेशिता और कल्याण, अमृत काल की योजनाएं और कार्यक्रमों पर मंथन हुआ और विचार-विमर्श के निष्कर्षों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने समापन भाषण में कहा कि इस सम्मेलन का विषय और उप-विषय हमारे देश के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए बहुत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में प्रस्तुत विचार संक्षिप्त और व्यवहार्य करने योग्य हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी नीति का महत्व तभी सार्थक होता है जब उसे व्यवहार में लाया जाता है। नतीजे और परिणाम साबित करते हैं कि यह नीति प्रभावी ढंग से क्रियान्वित की गई है। उदाहरण के लिए, ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के माध्यम से भारतीय समाज को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और देश की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन लाने का लक्ष्य रखा गया है। इस पहल के परिणाम बहुत प्रभावशाली रहे हैं। प्रभावी क्रियान्वयन एवं जनभागीदारी से बहुत कम समय में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव हुआ है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी इसी तरह के परिवर्तनकारी और समावेशी परिणाम प्राप्त किये जायेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीयकरण प्रयास और जी 20’ विषय पर चर्चा बहुत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि भारत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के मंत्र के साथ जी 20 देशों के साथ मिलकर वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का सामूहिक समाधान खोजने में प्रयासरत है।
उप-विषय ‘अनुसंधान योगदान और मान्यता’ के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि नवाचार और अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास किसी राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रमुख प्रेरकों में से हैं। दुनिया के अग्रणी विश्वविद्यालयों और प्रौद्योगिकी संस्थानों ने नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया है। वे एक इकोसिस्टम प्रदान करते हैं, जो अनुसंधान और विकास का समर्थन करता है जिसे औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार का पावरहाउस बनने की क्षमता है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत में उच्च शिक्षा संस्थान मौलिक अनुसंधान की परंपरा को संरक्षित रखते हुए स्टार्ट-अप, अनुप्रयुक्त अनुसंधान और व्यावसायिक दृष्टि से मूल्यवान नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में परिवर्तन कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने विविधता, समानता, समावेशिता और कल्याण पर एक विशेष सत्र की सराहना की और कहा कि उच्च शिक्षा संस्थान न्याय, समानता, भाईचारे, व्यक्तिगत गरिमा और महिलाओं के लिए सम्मान के हमारे संवैधानिक आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए सबसे प्रभावी प्लेटफार्मों में से एक है।
राष्ट्रपति ने बताया कि विकसित देश अपने उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए भी जाने जाते हैं। दुनिया भर के छात्र उन देशों के उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में ऐसा रोडमैप दिया गया है, जिस पर चलकर हमारे उच्च शिक्षण संस्थान भी वैश्विक शिक्षा केंद्र बन सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे उच्च शिक्षण संस्थान विश्वस्तरीय ज्ञान सृजन के केंद्र बनेंगे।
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