समग्र समाचार सेवा
बेंगलुरु, 18 फरवरी। हिजाब पहनना इस्लाम की मजहबी मान्यताओं के लिए जरूरी नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पर रोक को लेकर आदेश जारी किया था। कर्नाटक हाई कोर्ट में हिजाब विवाद पर जारी सुनवाई के दौरान शुक्रवार को राज्य सरकार ने यह बात कही।
संविधान के आर्टिकल 19 (1) के तहत नहीं आता
राज्य सरकार का पक्ष रख रहे एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नावादगी ने कहा कि सरकार की राय है कि हिजाब पहनने का अधिकार संविधान के आर्टिकल 19 (1) के तहत नहीं आता है। दरअसल चीफ जस्टिस ने सरकार से पूछा था कि आखिर किस तर्क के साथ उसने 5 फपवरी का आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया कि सांप्रदायिक सद्भाव को भंग करने वाली किसी भी ड्रेस को शैक्षणिक संस्थानों में मंजूरी नहीं दी जाएगी।
1985 से ही यूनिफॉर्म पहनते आ रहे हैं स्टूडेंट, अब तक नहीं छिड़ा विवाद?
इस पर एजी ने कहा कि उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज में 2013 से ही यूनिफॉर्म लागू है, लेकिन इसे लेकर आज तक कोई विवाद नहीं हुआ था। पहली बार दिसंबर 2021 में ही इसे लेकर विवाद हुआ। उन्होंने कहा कि इस कॉलेज की कुछ लड़कियों ने प्रिंसिपल से बात की और कहा कि उन्हें हिजाब पहनने की परमिशन मिलनी चाहिए। इसके बाद कॉलेज डिवेलपमेंट कमिटी में यह मुद्दा मुठा। इस मीटिंग में कहा गया कि 1985 के बाद से ही छात्र यूनिफॉर्म पहनते रहे हैं। इसके साथ ही कमिटी ने पुराने चले आ रहे नियम को न बदलने का फैसला लिया।
‘हम धार्मिक मामलों में दखल नहीं देना चाहते‘
उन्होंने कहा कि कॉलेज कमिटी ने छात्राओं के परिजनों के साथ भी मीटिंग की थी। इस मीटिंग में उन्हें बताया गया कि 1985 से ही कॉलेज में यूनिफॉर्म चली आ रही है। हालांकि इसके बाद भी कोई फैसला नहीं हो सका और छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद सरकार ने एक कमिटी का गठन किया। अंत में 5 फरवरी को इस संबंध में एक आदेश जारी किया गया। कर्नाटक सरकार ने अदालत में कहा गया कि हम धार्मिक मामलों में दखल नहीं देना चाहते हैं। एजी ने कहा कि राज्य सरकार ने यही आदेश दिया है कि छात्रों को वही यूनिफॉर्म पहननी चाहिए, जो स्कूलों और कॉलेजों की ओर से तय की गई हो।
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