CM हिमंत बिस्वा सरमा का कांग्रेस पर हमला: “घुसपैठियों को राहुल गांधी के घर भेज दें”

समग्र समाचार सेवा

गुवाहाटी, 10 अगस्त: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कांग्रेस पर घुसपैठियों को नई पहचान देने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस को इन लोगों से इतना लगाव है, तो उन्हें राहुल गांधी के निवास पर भेज देना चाहिए।

गौरव गोगोई के बयान पर पलटवार

मुख्यमंत्री सरमा ने दावा किया कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गौरव गोगोई ने हाल ही में घुसपैठियों को ‘ना असमिया’ (नया असमिया) कहकर संबोधित किया था।
सरमा ने कहा—
“अगर उन्होंने ऐसा कहा है, तो उन्हें अपने घर में इन लोगों को जगह देनी चाहिए, क्योंकि हमारे घर में इनके लिए कोई स्थान नहीं है।”

संसाधनों की कमी का हवाला

सरमा ने कहा कि असम में मूल निवासियों के लिए ही पर्याप्त संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
उन्होंने सवाल उठाया—
“न तो जमीन है, न जगह, न घर। हम असमियों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं दे सकते, तो इन तथाकथित नए असमियों को कैसे समायोजित करेंगे?”

बेदखली अभियान जारी रहेगा

मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि सरकारी जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए चल रहा बेदखली अभियान जारी रहेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यह अभियान विधानसभा चुनाव के बाद भी रुकेगा नहीं।
“अगले साल चुनाव के बाद भाजपा सत्ता में लौटेगी और तब भी बेदखली अभियान जारी रहेगा,” उन्होंने कहा।

सांस्कृतिक पहल – बागुरुम्बा का भव्य प्रदर्शन

राजनीतिक बयानबाज़ी के साथ-साथ मुख्यमंत्री ने सांस्कृतिक मोर्चे पर भी बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि नवंबर में 10,000 से अधिक कलाकार बोडो लोक नृत्य ‘बागुरुम्बा’ का प्रदर्शन करेंगे।
यह पहल बिहू और झुमुइर की अंतरराष्ट्रीय सफलता के बाद असम की सांस्कृतिक विरासत को और आगे बढ़ाने के लिए की जा रही है।

सरमा ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा—
“बिहू और झुमुइर की अपार सफलता के बाद, अब बागुरुम्बा को विश्व पटल पर चमकाने का समय आ गया है। यह हमारे बोडो समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान को और निखारेगा।”

राजनीति और संस्कृति का संगम

मुख्यमंत्री का यह बयान जहां कांग्रेस के खिलाफ राजनीतिक हमले के रूप में देखा जा रहा है, वहीं उनकी सांस्कृतिक घोषणा असम की जातीय पहचान और सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने के प्रयास के रूप में भी सामने आई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयानबाज़ी और सांस्कृतिक आयोजनों की घोषणा, दोनों ही आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की गई हैं।

 

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