हिंदी भाषा जीवंत है और विश्व परिप्रेक्ष्य में इसको इसका उचित स्थान दिलाने के प्रति हमारी सरकार वचनबद्ध है: डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16जून।भारी उद्योग मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक आज उत्तराखंड के मसूरी में संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता भारी उद्योग मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे ने की। इस अवसर पर बोलते हुए भारी उद्योग मंत्री ने कहा की पिछले कुछ वर्षों में हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में हिंदी विश्व फलक पर स्थापित हो गई है। वे विश्वमंच पर अपनी बात हिंदी में ही रखते हैं। इससे विश्व स्तर पर हिंदी का प्रचार-प्रसार हुआ है और अब सरकारी कामकाज में हिंदी का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। खासकर, पिछले नौ वर्षों में केंद्र सरकार के कार्यालयों में हर स्तर पर हिंदी का काम जितना बढ़ा है, उतना पहले कभी नहीं रहा। डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे ने कहा की आप सब इस बात से भी अवगत होंगे कि इस वर्ष सिविल सेवा में हिंदी माध्यम से रिकार्ड संख्या में परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। हिंदी ने यह स्थान किसी भाषा की उपेक्षा किए बिना व अन्य भाषा को साथ लेकर अपनी सक्षमता के बूते यह स्थान बनाया है। यह इसलिए संभव हुआ है कि हिंदी एक भाषा के रूप में लचीली रही है बहुत ही आसानी से अन्य भाषाओं को अपने में समाहित कर लेती है। हिंदी भाषा जीवंत है और विश्व परिप्रेक्ष्य में इसको इसका उचित स्थान दिलाने के प्रति हमारी सरकार वचनबद्ध है।
भारी उद्योग मंत्री ने कहा की आज हिंदी में लिखी गई मूल रचनाएं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत रही हैं। अब तकनीकी विषयों की पाठ्य-सामग्री भी हिंदी में आसानी से उपलब्ध है। वास्तव में, यह हिंदी का अमृतकाल है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैं इस दौर का हिस्सा हूं। मुझे यह अवगत कराते हुए खुशी हो रही है कि मंत्रालय में मुझे प्रस्तुत की जा रही सभी फाइलें हिंदी में ही होती हैं। स्वयं मैं भी उनपर हिंदी में ही टिप्पणी करता हूं। प्रधानमंत्री जी के डिजिटल इंडिया मिशन को गति देने के लिए वेबसाइट को पूरी तरह द्विभाषी बनाने की दिशा में प्रयास तेज़ किए गए हैं और कई ट्वीट और वीडियो भी हिंदी में जारी किए गए हैं। तकनीक ने हिंदी में काम करना आसान बना दिया है। मंत्रालय और हमारे उपक्रमों में आयोजित बैठकों में चर्चा की भाषा भी हिंदी ही होती है। उन्होंने कहा कि आपने गौर किया होगा, आज ऐप और योजनाओं के नामकरण भी इस प्रकार किए जा रहे हैं जिनके संक्षिप्त रूप से हिंदी और संस्कृत के शब्दों को बढ़ावा मिले।
भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव, कामरान रिजवी ने अपने संबोधन में कहा कि पहले अंग्रेजी बोलने वाले सिविल सेवा में अधिक चुने जाते थे लेकिन अब हिंदी अपनी जडें जमा रही है और इस साल की सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम में शुरुआती दस सफल परीक्षार्थियों में हिंदी भाषा के परीक्षार्थी हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी इतनी क्लिष्ट न हो कि आमजन उसे समझ न सके। रिजवी ने कहा कि महेंद्रनाथ पांडेयजी जैसा हिंदीप्रेमी मिलना मंत्रालय के लिए सौभाग्य का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी हिंदी आसान हो तो हिंदी का चलन और अधिक बढ सकता है। बैठक के दौरान भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल), सीसीआई (सीमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया), ईपीआईएल (इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड), एचएसएल (हिंदुस्तान सॉल्ट लिमिटेड) और राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंट्स लिमिटेड (रील), जयपुर जैसे उपक्रमों ने प्रजेंटेशन देकर बताया कि कैसे उनके यहां पर कामकाज में हिंदी का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। बड़े अधिकारियों से लेकर कर्माचारियों के बीच भी हिंदी में ही संवाद होता है। फाइल से लेकर पत्राचार का माध्यम भी हिंदी भाषा ही होती है। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कर्मचारियों व अधिकारियों को प्रोत्साहित किया जाता है।
बैठक में संयुक्त सचिव (ऑटो)- डॉ. हनीफ कुरैशी जी और संयुक्त सचिव (भारी इंजीनियरिंग उपकरण और मशीन टूल्स)- विजय मित्तल जी सहित अन्य अधिकारियों व गणमान्य लोगों ने भाग लिया।
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