कांग्रेस का ऐतिहासी आरोप: खडगे ने मोदी को ट्रम्प के 50% टैरिफ के लिए ठहराया जिम्मेदार

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 अगस्त:
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर 50% आयात शुल्क लगाने की धमकी के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में साफ़ कहा कि कांग्रेस के 70 सालों को इसकी ज़िम्मेदारी नहीं दी जा सकती—यह भारत की रणनीतिक चुनौतियों को समझने की सरकार की नाकामी का परिणाम है।

 ‘रणनीतिक स्वायत्तता का उल्लंघन हज़ारों करोड़ों का खतरा’

खड़गे ने कहा कि “जो भी देश भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करता है, वह भारत की ताकत को नहीं समझता।” उन्होंने इस बात का उदाहरण 1971 के बांग्लादेश युद्ध और भारत के परमाणु परीक्षणों के बाद अमेरिका के सातवें बेड़े की तैनाती के साथ पैरित दंडात्मक प्रतिबंधों को बताया। उन्होंने कहा कि तब भारत ने आत्मसम्मान के साथ अपना संबंध कायम रखा। लेकिन अब, “भारत की कूटनीति जोखिम में है”।

खड़गे ने चेतावनी दी कि यदि ट्रम्प 50 % टैरिफ थोप देता है, तो भारतीय उद्योगों पर करीब ₹3.75 लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा—from छोटे उद्योग और कृषि तक, फार्मा और कपड़ा क्षेत्र तक गंभीर प्रभाव होगा।

मोदी की चुप्पी ने बढ़ाई राजनीतिक बहस

खड़गे ने विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल खड़े किए। उन्होंने बताया कि ट्रम्प ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक वार्ता की बात कई बार कही, लेकिन मोदी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। उन्होंने कहा, “कम से कम 30 बार ट्रम्प ने ऐसा दावा किया, लेकिन भारत सरकार ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया”। इस निष्क्रियता को खड़गे ने गंभीर राष्ट्रीय हित की बेअदबी माना।

ब्रिक्स समूह में ट्रम्प की धमकी पर भी सख्त टिप्पणी

नवंबर 2024 में ट्रम्प ने ब्रिक्स देशों पर 100% तक टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। खड़गे ने कहा, “जब ट्रम्प ब्रिक्स को खत्म करने की धमकी दे रहे थे, प्रधानमंत्री मोदी वहां मुस्कुरा रहे थे।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने बजट में देश की निर्यातदाताओं व उद्यमों की रक्षा के पर्याप्त प्रावधान नहीं किए, जबकि पश्चिमी राष्ट्रपति पहले ही अपना इरादा स्पष्ट कर चुके थे।

राजनीतिक और आर्थिक असर: खड़ा सवाल

खड़गे का आरोप है कि इस तरह की विदेश नीति न केवल देश के आर्थिक हितों के लिए हानिकारक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की “रणनीतिक स्वायत्तता” पर भी आघात है। उन्होंने प्रधानमंत्री की विदेश नीति पर कठोर आलोचना करते हुए कहा कि “आत्मविश्वास व गरिमा के साथ रिश्ते बनाने की कला में कमी” ने भारत को सीमा पार का खतरा झेलने पर मजबूर किया है।

सरकार पर यह आरोप भी है कि उन्होंने बजट में पर्याप्त आर्थिक बचाव कदम नहीं उठाए—न तो निर्यात पर राहत पैकेज सुझाया, न अन्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को समायोजित किया।

लोकतंत्र को मजबूती से बचाना होगा

खड़गे की आलोचना इस तथ्य पर जोर देती है कि विदेशी धमकियों के सामने रणनीतिक जवाबदेही व दृढ़ नीति की ज़रूरतें स्पष्ट हो गई हैं। 50 % जैसे टैरिफ को यदि भारत झेलता है तो इसका व्यापक असर न सिर्फ व्यापार पर, बल्कि राष्ट्रहित पर सेलाब की तरह महसूस होगा।

अब सवाल यह है कि सरकार—एक ऐसी स्थिति में जहाँ प्रमुख वैश्विक नेता स्पष्ट आर्थिक दबावों की बात कह रहे हैं—क्या भारतीय हितों की रक्षा की तैयारी कर चुकी है? विपक्ष की आवाज़ यह स्पष्ट संकेत दे रही है कि देश की नीतियां अब मोड़े जाने की नहीं, बल्कि मज़बूत चढ़ाव लेने की वक्त की मांग कर रही हैं।

 

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