समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,16 दिसंबर।
प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) द्वारा जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तिगत पत्रों की वापसी के अनुरोध ने सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि आखिर इन पत्रों में ऐसा क्या है जिसे गांधी परिवार सार्वजनिक नहीं करना चाहता। उन्होंने दावा किया कि 2008 में यूपीए शासन के दौरान सोनिया गांधी इन ऐतिहासिक पत्रों को संग्रहालय से ले गई थीं। पात्रा ने कहा, “ये पत्र पंडित नेहरू द्वारा एडविना माउंटबेटन, जेपी नारायण और अन्य वैश्विक नेताओं को लिखे गए थे। सोनिया गांधी ने इन्हें क्यों मंगवाया और इनकी डिजिटलीकरण प्रक्रिया को क्यों रोका गया?”
क्या है मामला?
PMML के सदस्य रिजवान कादरी ने 10 दिसंबर को राहुल गांधी को पत्र लिखकर सोनिया गांधी द्वारा मंगवाए गए पत्रों को वापस लाने का अनुरोध किया है। इससे पहले सितंबर में सोनिया गांधी को भी इसी विषय पर एक पत्र लिखा गया था। इन ऐतिहासिक पत्रों में पंडित नेहरू द्वारा एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, और अन्य प्रमुख हस्तियों को लिखे गए पत्र शामिल हैं।
कादरी का कहना है कि नेहरू जी के ये पत्र राष्ट्र निर्माण के संदर्भ में महत्वपूर्ण शोध के लिए बेहद आवश्यक हैं और इन्हें सार्वजनिक अभिलेखों का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
51 बक्सों का रहस्य
संबित पात्रा ने 51 बक्सों के रहस्य पर जोर देते हुए कहा कि ये पत्र नेहरू जी द्वारा वैश्विक नेताओं और अन्य प्रमुख व्यक्तित्वों को लिखे गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी ने इन पत्रों को संग्रहालय से मंगवाकर जनता की पहुंच से दूर कर दिया। पात्रा ने सवाल किया, “इन पत्रों में ऐसा क्या था जिसे कांग्रेस छिपाना चाहती है? क्या राहुल गांधी देश को इन पत्रों को लौटाने में मदद करेंगे?”
पंडित नेहरू के ये पत्र ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें भारत के पहले प्रधानमंत्री और अन्य वैश्विक नेताओं के बीच संवाद शामिल है। ये पत्र पहले नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और पुस्तकालय का हिस्सा थे, जिसे अब प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय का नाम दिया गया है।
संबित पात्रा ने कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन पत्रों को सार्वजनिक करना देशहित में है। उन्होंने मांग की कि गांधी परिवार इन पत्रों को तुरंत वापस करे।
मौजूदा विवाद ने ऐतिहासिक अभिलेखों और पारदर्शिता के महत्व पर एक नई बहस छेड़ दी है। बीजेपी ने पत्रों की वापसी को लेकर कांग्रेस पर दबाव बढ़ा दिया है, जबकि कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। अब देखना होगा कि इस विवाद का राजनीतिक असर क्या होता है।
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